- पुरुष हॉकी टीम की सेमीफाइनल में हार के बाद अभी भी भारत देश को एक पदक की उम्मीद बरक़रार
नई दिल्ली, टोक्यो ओलिंपिक में देश को भारतीय पुरुष हॉकी टीम से बड़ी उम्मीद थी कि वो आज फाइनल में पहुंचकर देश के लिए एक और पदक पक्का करेगी, क्योंकि 1980 के ओलिंपिक के सालों बाद भारत इस ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर रहा था, लेकिन भारत को सेमीफाइनल में बेल्जियम से हार गया है। इसी के साथ भारत का स्वर्ण पदक तथा रजत पदक जीतने का सपना टूट गया है। हालांकि, अभी भी भारत को पुरुष हॉकी टीम से एक पदक की उम्मीद बरक़रार है।
इस बड़े मुकाबले के पहले क्वार्टर में भारत ने 2-1 की बढ़त बना ली थी। भारत के लिए पहले क्वार्टर में मनदीप सिंह और हरमनप्रीत सिंह ने गोल किया। फिलहाल, दूसरे क्वार्टर की समाप्ती पर इस हाफ टाइम से पहले भारत दूसरे क्वार्टर में एक भी गोल नहीं कर पाया, जबकि बेल्जियम की टीम बराबरी करने में सफल रही। हाफ टाइम में 2-2 के साथ स्कोर बराबरी पर था।
मैच के तीसरे क्वार्टर में दोनों ही टीमों की तरफ से कड़ा मुकाबला देखने को मिला, लेकिन कोई भी टीम गोल करने में सफल नहीं हुई। हालांकि, दोनों टीमों के पास पेनाल्टी कार्नर के जरिए गोल करने का मौका था, लेकिन डिफेंड की वजह से कोई टीम सफल नहीं हुई। तीसरे क्वार्टर के बाद मुकाबला 2-2 से बराबरी पर था। चौथे क्वार्टर के करीब चौथे मिनट में पेनाल्टी कार्नर के जरिए बेल्जिमय ने गोल किया और भारत पर 3-2 से बढ़त बना ली। एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने मैच का तीसरा गोल पेनाल्टी कार्नर के जरिए किया और भारत पर बेल्जियम की बढ़त को 4-2 कर दिया। आखिरी के मिनटों में एक और गोल कर बेल्जियम ने जीत के अंतर को 5-2 का कर दिया। और बेल्जियम ने 5-2 के अंतर से भारत को हरा कर मैच अपने नाम किया।
भारतीय खेल प्राधिकरण में 1988 से लेकर 2012 तक हॉकी कोच रहे प्रसून महृषि आज ओलम्पिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के प्रदर्शन से बहुत मायूस नजर आये। सुबह से ही इस महत्वपूर्ण मुकाबले के लिए टीवी पर नजर गड़ाए बैठे महृषि कहते हैं कि महिला हॉकी ने तो इतिहास रच दिया जिसमें पूरी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ओलम्पिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भी पूर्व में 8 गोल्ड 1 सिल्वर दो ब्रॉन्ज ओलंपिक मेडल जीतने वाली हॉकी टीम आज 40 वर्षों बाद टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल तक बहुत पहुंचने तक का अच्छा प्रदर्शन रहा, पर भारतीय टीम का पहले दो क्वार्टर में तो टीम का बहुत अच्छा प्रदर्शन था पर आखरी के दो क्वार्टर में बॉल का पजेशन ही नहीं रहा और इसके अलावा अनुशासनहीनता के कारण भी टीम को कुछ कार्ड मिले जिसकी वजह से टीम को काफी नुकसान उठाना पड़ा और भारतीय पुरुष हॉकी टीम आखरी दो क्वार्टर में मैच गवा बैठी।