देहरादून 11 मार्च, त्रिवेंद्र रावत की विदाई के बाद अब साफ हो चुका है कि अब उत्तराखंड की बागडोर तीरथ सिंह रावत के हवाले है। ऐसे में तय है कि नए मुख्यमंत्री का मंत्रीमंडल भी नया होगा। नए मंत्रीमंडल में कौन से चेहरे शामिल होंगे, इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। अभी इस सस्पेंस के बीच जहां कई विधायकों में मंत्री बनने की आस जगी है, वहीं कई नेता ऐसे भी हैं जिन्हें कुर्सी हाथ से जाने का डर सता रहा है। निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मंत्रीमंडल में तीन मंत्री पद अंतिम समय तक खाली रहे। डेढ़ साल पहले वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन से खाली मंत्री पद को भी अभी तक नहीं भरा गया था।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रीमंडल में कुछ नए चेहरों को मिल सकती है जगह, पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल का नाम मंत्रियों की सूची में सबसे आगे हो सकता है। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रीमंडल में कई नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। राजनीतिक समीकरण में त्रिवेंद्र सरकार में शामिल नौ मंत्रियों में पांच मंत्री पद कांग्रेस से आए नेताओं को दिए गए थे। अब बदले राजनीतिक समीकरणों के बीच अब ये चर्चाएं जोरों पर हैं कि कांग्रेस से आए कुछ नेताओं से भी मंत्री पद वापस लिए जा सकते हैं।
दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि पार्टी के जिन वरिष्ठ नेताओं को त्रिवेंद्र सरकार में तरजीह नहीं मिली थी, उन्हें भी मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है। तीरथ मंत्रिमंडल में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ सकती है। टीम में युवा, अनुभवी, महिला, पूर्व सैनिक और पिछड़े वर्ग को भी साथ लेकर चलना होगा। उनकी नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना होगा। जिलों में भी संतुलन साधना होगा। क्योंकि, अक्सर कई जिलों के ज्यादा से ज्यादा मंत्रियों की नुमाइंदगी हो रही है। कई जिले ऐसे हैं, जिनका लंबे समय से प्रतिनिधित्व नहीं रहा है। पिछली सरकार में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़, चंपावत से कोई मंत्री नहीं था। लेकिन नेताओं में कुमाऊ के डीडीहाट विधानसभा से लगातार 5 बार विधायक रहे पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल को नजर अंदाज करना मुश्किल होगा साथ ही बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास, बलबंत भोर्याल, इनमें रेखा आर्य, ऋतु खंडूड़ी, मीना गंगोला, मुन्नी देवी व चंद्रा पंत, 3 बार के विधायक गणेश जोशी और मुन्ना सिंह चौहान आदि नामों को भी मत्रीमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं हो सकती हैं। सीएम तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के बीच संतुलन कायम करने के साथ ही जातीय समीकरणों को साधने की रहेगी।