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यपी- उत्तराखंड पुलिस के अलावा आईटीबीपी और बीएसएफ में निभा चुके हैं महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
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कई पुस्तकें भी लिख चुके हैं अशोक कुमार, ‘खाकी में इंसान‘ बेहद लोकप्रिय रही
देहरादून, 20 नवम्बर आईपीएस अशोक कुमार उत्तराखंड के 11वें डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) होंगे। 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अशोक कुमार लगभग तीन दशक के सेवाकाल में अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड पुलिस, आईटीबीपी और बीएसएफ के महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। बीते वर्षों में उन्होंने कई विषयों पर पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें उनकी ‘खाकी में इंसान‘ बेहद प्रसिद्ध रही है।
अशोक कुमार का जन्म हरियाणा के पानीपत जिले के एक छोटे से गांव कुराना में हुआ। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और आईआईटी दिल्ली से बी.टेक(1986) और एम.टेक (1988) किया। वह वर्ष 1989 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और इलाहाबाद, अलीगढ़, चमोली, मथुरा, शाहजहाँपुर, मैनपुरी, रामपुर, नैनीताल और हरिद्वार जैसे स्थानों में अपनी सेवाएं देते हुए कई चुनौतीपूर्ण कार्य किए।
उत्तराखंड बनने से पूर्व वे चार जिलों (अब 5) में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने कुमाऊं के तराई क्षेत्र से आतंकवाद के खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 22 जनवरी 1994 को ऊधमसिंह नगर में हीरा सिंह गैंग के साथ हुए एक बड़े एन्काउन्टर को उन्होंने खुद लीड किया। इस एन्काउन्टर में 3000 राउण्ड फायरिंग हुई थी।
अशोक कुमार वर्ष 1994 में पुलिस अधीक्षक चमोली रहे। इस दौरान जनता के साथ परसपर संवाद एवं सहयोग से वहां उत्तराखंड आन्दोलन काफी शान्तिपूर्ण रहा। वर्ष 1995-96 में वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार तथा वर्ष 1999 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल के पद पर रहे।
वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के समय वे बीएसएफ में आई प्रशासन के पद पर नियुक्त थे। इस दौरान उन्होंने कालीमठ घाटी में राहत एवं पुनर्वास कार्य कराए थे। 14 गांव गोद लिए थे और कालीमठ मन्दिर को भी बहने से बचाया था।
अशोक कुमार ‘खाकी में इंसान‘ विषय पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि अच्छी पुलिस व्यवस्था से सचमुच गरीब व असहाय लोगों की जिन्दगी में फर्क लाया जा सकता है।