नई दिल्ली, कोविड-19 महामारी फैलने के लगभग 2 साल बाद दुनिया अब कुछ दिनों पहले सामने आए कोविड 19 वायरस के नए स्ट्रेन की आहट से भयभीत नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि इस वायरस का यह स्वरूप टीके के जरिए मुहैया कराई जा रही सुरक्षा को विफल करने की संभावना रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ करार दिया है. इससे पहले इस श्रेणी में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था जिससे यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में लोगों ने बड़े पैमाने पर जान गंवाई थी।
कोरोना वायरस के नए स्वरूप के सामने आने के बाद से दुनिया के विभिन्न देश दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पाबंदियां लगा रहे हैं ताकि नए स्वरूप के प्रसार पर रोक लगाई जा सके. डब्ल्यूएचओ की सलाह पर ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, ईरान, जापान, थाईलैंड, अमेरिका, यूरोपीय संघ के देशों और ब्रिटेन सहित कई देशों ने दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पर पाबंदियां लगाई हैं। विमानों का परिचालन बंद होने के बावजूद इस तरह के साक्ष्य हैं कि यह स्वरूप फैलता जा रहा है। बेल्जियम, इजराइल और हांगकांग के यात्रियों में नए मामले सामने आए हैं। जर्मनी में भी संभवत: एक मामला सामने आया है। हॉलैंड के अधिकारी दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 2 विमानों में 61 यात्रियों के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद नए स्वरूप की जांच कर रहे हैं।
साउथ अफ्रीका में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के मिलने से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल, अभी राहत वाली बात ये है कि भारत में अब तक इस नए वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है। फिर भी केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सतर्क रहने का आग्रह किया है। भारत में इस वेरिएंट को लेकर कई राज्यों में कोविड-19 नियमों को सख्त कर दिया गया है।
वहीं नई दिल्ली में पीएम मोदी ने देश में कोरोना से जुड़े हालातों को लेकर एक हाईलेवल मीटिंग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोविड -19 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों और टीकाकरण संबंधी स्थिति की समीक्षा के लिए एक व्यापक बैठक की अध्यक्षता की। एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक लगभग 2 घंटे तक चली।पीएम ने फ़ैलते नए संक्रमण और कारणों के बीच अधिकारियों से अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने की योजना की समीक्षा करने को भी कहा।
पीएम ने अधिकारियों से पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों और वेंटिलेटर के उचित कामकाज को सहन करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय करने को कहा।जिसमें उन्होंने नागरिकों से मास्क पहनने और सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है और अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लिए फैसले की फिर से समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
कोरोना के नए वेरिएंट का नाम आखिकार ओमीक्रोन ही क्यों पड़ा, आपको बता दें कि अब तक जितने भी वेरिएंट आए हैं उन् सभी को 24 ग्रीक अल्फाबेट के नाम दिए गए हैं। इसके लिए आपको थोड़ा ग्रीक भाषा के बारे में जानना होगा। एक्सपर्ट्स ने कोरोना के नए वेरिएंट का नाम रखने के लिए Xi और nu को छोड़कर ओमीक्रोन नाम रखा है। ओमीक्रोन जो है ग्रीक अल्फाबेट में Xi और nu के बाद आता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने उन दोनों लेटर को छोड़कर नए वेरिएंट का नाम ओमीक्रोन रख दिया है। इसमें ओमीक्रोन अल्फाबेट 15वें नंबर पर है। अभी तक कोरोना वायरस के जितने भी वेरिएंट आए हैं, उनमे ओमीक्रोन कोरोना का 15वां वेरिएंट हैं, इसलिए इस वेरिएंट का नाम ओमीक्रोन पड़ा है।
अब सवाल ये है कि क्या इससे पहले इस वायरस के 15 स्ट्रेन सामने आ चुके हैं? तो यह सही है कि दुनिया में किसी न किसी कोने में इनमें से ये वेरिएंट सामने आ चुके हैं। उन नए वेरिएंट का नाम डब्ल्यूएचओ ही रखता है। ये 15वां स्ट्रेन बहुत घातक है।’ओमीक्रोन’ का मतलब है, “चिंता वाला वेरिएंट”। डब्ल्यूएचओ ने नए वेरिएंट का नामकरण करते हुए इसे बहुत ही खतरनाक बताया है। साथ ही कहा है कि ये आम वेरिएंट के मुकाबले 7 गुना तेजी से फैल रहा है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर ये ट्रेंड कर रहा है कि आखिर वैज्ञानिकों ने xi और nu को छोड़कर अगला नाम ही नए वेरिएंट का क्यों रखा? एक्सपर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने nu को इसलिए नहीं चुना, क्योंकि उसका अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार, न्यू अर्थ है नया, इससे ये लगता है कि नया उच्चारण की वजह से नाम भ्रमित कर रहा है तो वहीं xi को इसलिए छोड़ा गया, क्योंकि चीन के राष्ट्रपति का नाम xi जिनपिंग हैं तो ऐसे में कोई इस वेरिएंट को चीन से आया वेरिएंट ना समझ ले और किसी विवाद का कारण बने।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अभी ओमीक्रॉन के वास्तविक खतरों के बारे में पूरी तरह से पता नहीं चला है लेकिन शुरुआती सबूतों से पता चलता है कि अन्य अत्यधिक संक्रामक स्वरूपों के मुकाबले इससे फिर से संक्रमित होने का जोखिम अधिक है। इसका मतलब है कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और उससे उबर गए हैं, वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, यह जानने में हफ्तों का वक्त लगेगा कि मौजूदा टीके इसके खिलाफ कितने प्रभावी हैं। डब्ल्यूएचओ समेत दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस स्वरूप के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन किए जाने से पहले जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देने के खिलाफ आगाह किया है ताकि भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो। लेकिन कोविड वायरस के किसी न किसी स्वरुप से अब तक दुनियाभर में 50 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाने के बाद लोग डरे सहमे हुए हैं।