पिछले महीने 17 मार्च को इंडिगो की फ्लाइट में आसमान में जन्म लेने वाले बच्चे के परिजनों को उसका जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा था। 23 दिन के इस बच्चे का जन्म बेंगलुरु से जयपुर आने वाली फ्लाइट में हुआ था। उस समय उसकी मां को प्रसव पीड़ा हुई ताे फ्लाइट में मौजूद एक महिला चिकित्सक ने अन्य क्रू मेंबर्स की मदद से प्रसव कराया गया था।
दरअसल, अजमेर जिले के जालिया रूपवास गांव निवासी भैरूसिंह अपनी पत्नी ललिता के साथ बेंगलुरु में रहता है। वह वहां ऑटो रिक्शा चलाता है। भैरूसिंह को 16 मार्च को सूचना मिली कि उसके पिता की गांव में तबीयत काफी खराब है। इस पर उसने जयपुर तक पहुंचने के लिए इंडिगो एयरलाइंस का तत्काल टिकट बुक करवाया। इसी दौरान महिला को आठ महीने का गर्भ था। लेकिन पिता की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण वे अपनी पत्नी के साथ फ्लाइट में बैठ गए। फ्लाइट में बैठने से पहले जांच कराई तो चिकित्सकों ने कहा अभी प्रसव होने में समय है, इस लिए यात्रा की जा सकती है। इस पर वे फ्लाइट में जयपुर आने के लिए बेफिक्र हो कर बैठ गए। लेकिन फ्लाइट में ही ललिता को प्रसव पीड़ा होने लगी। तब साथ यात्रा कर रही एक महिला चिकित्सक ने क्रू मेंबर्स की मदद से प्रसव करवाया गया था।
जयपुर पहुंचने पर ललिता व उसके बच्चे को अस्पताल में दिखाया गया, जहां उन्हे पूरी तरह स्वस्थ बताया गया तो वे परिवार सहित गांव चले गए। इसके बाद शुरू हुई भैरूसिंह की परेशानी, हुआ यह कि वह अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाना चाहा तो गांव के सरपंच से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों का जवाब था कि जब बच्चे का जन्म यहां हुआ ही नहीं तो हम प्रमाण पत्र कैसे बना कर दें। इसका प्रमाण पत्र जयपुर में बनेगा। जयपुर हवाई अड्डे पर वह पिछले कई दिनों से चक्कर लगा रहा था। वह कभी हवाई अड्डा प्रशासन के पास, तो कभी इंडिगो एयरलाइंस के कर्मचारियों के पास जाता था। इस बारे में हवाई अड्डा प्राधिकरण के निदेशक ने अधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। 23 दिन से बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भैरू सिंह धक्के खा रहा था, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला तो यह मामला मिडीया की नजर में आया।
तो यह खबर टीवी तथा अख़बार में छपी तो हड़कंप मच गया और इसका समाधान खोजा गया। अब वहां एक रास्ता भी सुझाया गया है। जयपुर हवाई अड्डा प्राधिकरण के निदेशक कहते हैं कि अगर बच्चे के माता पिता उनके यहां लिखित आवेदन करते हैं तो वो घटित हुई पूरी प्रसव प्रक्रिया के बारे में लिखकर देने को तैयार हैं। इस लिखित दस्तावेज को नगर निगम में दिखाकर बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट बनाया जा सकता है। इस घटना को कुछ पत्रकारों ने सामाजिक सरोकार की तरह लिया और अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट बनाने का रास्ता निकाला गया। अब बस इस बात की है कि बच्चे के माता पिता भैरूसिंह एवं ललिता को जयपुर हवाई अड्डा प्राधिकरण से संपर्क करना है और इस प्रक्रिया को विधिवत पूरा करना है।
इससे पहले भी देश में में इसी तरह के एकआध मामले सामने आ चुके हैं. उन लोगों को भी इसी समस्या से गुजरना पड़ा था। हवाई अड्डा प्राधिकरण के अनुसार कि ऐसे मामलों की कोई गाइडलाइन सरकार की तरफ से अभी तक उनके पास नहीं है। हो सकता है कि ऐसे मामले सामने आने पर भविष्य में केंद्र सरकार इस पर कोई गाइडलाइन जारी करे।