- खरमास में विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए
- खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है
देहरादून, डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की 15 दिसंबर से खरमास लगने जा रहा है 15 दिसंबर को सूर्य का धनु राशि में गोचर के साथ ही खरमास लग जाएगा। इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक-शुभ काम नहीं करने चाहिए। यही कारण है कि खरमास के शुरू होने के साथ ही सही प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की जब सूर्य राशि परिवर्तन करते समय गुरु की राशि धनु या मीन में गोचर करते हैं, तभी खरमास लगता है। पौष माह को खरमास का महीना माना गया है। इस माह भले ही शादी-विवाह, घर, मकान लेने जैसे कार्यों पर रोक लग जाती है लेकिन यह माह भगवान की पूजा-अर्चना और मंदिर दर्शन और तीर्थ यात्रा के लिए बेहतर माना गया है। खरमास में घर में कोई नई खरीददारी करना या कोई मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना गया है। ऐसे में 15 दिसंबर यानी कि खरमास से पहले ही खरीददारी कर लें। क्योंकि इसके बाद कोई भी शुभ मुहूर्त मकर संक्रांति से पहले नहीं पड़ेगा। मकर संक्रांति शुरू होने के साथ ही खरमास का समापन होगा। मकर संक्रांति 14 जनवरी 2021 में पड़ रही है। मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। मकर संक्रांति की हिंदू धर्म में काफी महिमा बताई गई है क्योंकि मकर संक्रांति की शुरुआत से ही रुके हुए सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
खरमास में क्या ना करें
इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
खरमास में जमीन पर सोना चाहिए, पत्तल पर भोजन करना चाहिए.
इस महीने किसी की निंदा और झूठ बोलने से बचना चाहिए.
मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उड़द, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न खाने से बचना चाहिए.
खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित माने जाते हैं।
खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। कहते हैं एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए थे। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो यह सृष्टि भी रुक जाएगी। उधर तालाब के किनारे दो गधे भी मौजूद थे। ऐसे में सूर्य देव को एक उपाय सूझा। उन्होंने घोड़ों को आराम देने के लिए रथ में गधों को जोत लिया। इस स्थिति में सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई, लेकिन रथ रुका नहीं। इसलिए इस समय सूर्य का तेज कम हो जाता है। इस समय ठंड भी अपने चर्म पर होती है।
खरमास से जुड़े नियम
इस महीने सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि खरमास में दान पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस महीने गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाना चाहिए। संभव हो तो उन्हें कंबल बांटें। खरमास में गौ पूजन और गौ संवर्धन करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
खरमास का धार्मिक महत्व
खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।खरमास के दौरान पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इस मास में पड़ने वाली एकादशी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए। खरमास में पीपल पूजन करना चाहिए। जिन लोगों को किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करा कर उपहार प्रदान करना चाहिए।