- तुलुबी गांव के निवासियों ने प्रशासन से मांग की थी कि मुख्य मार्ग से तीन किलोमीटर की सड़क उनके गांव तक जोड़ी जाए, प्रशासन ने इस मांग को खारिज कर दिया गया था।
- ओड़िसा के माउंटेन मैन’ हरिहर बेहरा ने भाई के साथ तीन किलोमीटर की सड़क के लिए, 30 साल पहाड़ियों को काटा दोनों भाइयों ने मिलकर केवल हथौड़े, कुदाल और सब्बल की मदद से सड़क बना डाली।
भुवनेश्वर: तीस साल पहले ओडिशा के नयागढ़ जिले के एक दूरदराज तुलुबी गांव के निवासियों ने प्रशासन से अपील की थी कि जंगल के बीच से तीन किलोमीटर की सड़क उनके गांव तक जोड़ी जाए। उन्होंने कहा था कि उन्हें बस चलने लायक सड़क की जरूरत है, ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो और लोग अपना रास्ता न खोएं लेकिन, प्रशासन ने इस मांग को खारिज कर दिया। उस समय मंत्री ने इसे असंभव काम बताया था।
ऐसे में हरिहर बेहरा और उनके भाई कृष्ण को महसूस हुआ कि अगर उन्हें सड़क की जरूरत है, तो उन्हें खुद इसे बनाना होगा। दोनों भाइयों ने मिलकर केवल हथौड़े, कुदाल और सब्बल की मदद से तीन किलोमीटर की सड़क बना डाली। हरिहर बेहरा ने बड़ी-बड़ी चट्टानों को हथौड़े से मारते तोड़ा। इसके बाद उनके भाई कृष्ण बेहरा की किडनी की बीमारी के कारण मौत हो जाने के बाद, हरिहर अकेले ही ये काम करते रहे। अगले 30 साल अपने भाई के साथ अपने खेतों में काम खत्म करने के बाद, सड़क बनाने के लिए हथौड़े से पहाड़ियों को काटने में बिताए।
स्थानीय निवासीयों ने बताया कि हरिहर और उनके भाई की बदौलत आखिरकार अब उन्हें सड़क मिल गई। हरिहर ने कहा कि प्रशासन के मना करने के बाद उन्हें अपने सामने कोई और विकल्प नहीं नजर आया था। उन्होंने कहा कि उनके और गांव वालों के पास के शहर के लिए जाने का कोई रास्ता नहीं था। रिश्तेदार उनके गांव में आते-जाते रास्ते भूल जाते थे और जंगल में खो जाते थे।