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Saturday, July 5, 2025

भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता, कतर में मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक रिहा

दिल्ली : भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. कतर ने आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है. वे जासूसी के आरोपों का सामना कर रहे थे. उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. भारत के अनुरोध पर उनकी सजा को कतर के अमीर ने पहले ही कम कर दिया था और उम्रकैद में बदल दिया था.

कतर की एक अदालत ने सोमवार (12 फरवरी) को भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है. इसमें से सात नौसैनिक भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए बयान में इसकी जानकारी दी गई है. दरअसल, आठों पूर्व नौसैनिक कतर के खिलाफ जासूसी करने के आरोप में मिडिल ईस्ट के इस छोटे से देश की जेल में कैद थे. इन्हें कतर की अदालत ने मौत की सजा भी सुना दी थी, जिसके बाद इनकी रिहाई मुश्किल हो गई थी.

अब विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्हें रिहा कर दिया गया है और इनमें सात पूर्व नौसैनिक भारत भी लौट आए हैं.विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है.

उन आठ में सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं.”अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ काम करने वाले पूर्व भारतीय नौसैनिकों को भ्रष्टाचार और जासूसी के एक मामले में कथित रूप से शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था. भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कतर के साथ बातचीत कर उन्हें कानूनी मदद दी गई.

क्या था मामला?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2022 से कतर पुलिस ने 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया था। कतर पुलिस ने उन पर कतर के पनडुब्बी प्रोजेक्ट की जासूसी करने का आरोप लगाया था। 25 मार्च 2023 को चार्जशीट दायर करके उनके खिलाफ कतर के कानून के तहत केस चलाया गया। 26 अक्टूबर 2023 को कतर की कोर्ट ने आठों भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी।

मामला सामने आने के बाद आठों भारतीयों के परिवार प्रधानमंत्री मोदी से मिले। उन्होंने अपने परिजनों को बचाने की मांग की। इसके बाद दुबई में हुए COP28 शिखर सम्मेलन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से मुलाकात हुई, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा हुई। इसके बाद मामले में 60 दिन की अपील करने की राह मिली। कानूनी प्रक्रिया के तहत अपील की गई।

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