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Saturday, April 19, 2025

पर्वतीय क्षेत्र को फल-पट्टी के रूप में डेवलप करने की सरकार की बड़ी पहल : गणेश जोशी

देहरादून। कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि उत्तराखंड के बारहनाजा मिलेट्स के उत्पादन को नए तौर- तरीकों से उत्पादित करने तथा पर्वतीय क्षेत्र को फल – पट्टी के रूप में डेवलप करने की सरकार की बड़ी पहल। नीतिगत और संस्थागत दोनों तरह के सहयोग से इसका वैज्ञानिक पद्धति से उत्पादन करने को किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। अधिक सब्सिडी के माध्यम से समूह और क्लस्टर आधारित उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रावधान किए गए हैं। स्वरोजगार के अवसर बढ़ाकर किसानों की आय में बढ़ोतरी करके पलायन जैसी समस्याओं को रोकने  में कारगर अभिनव प्रयास सिद्ध होंगे। पर्वतीय क्षेत्र में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार नीतिगत और संस्थागत दोनों तरह से लगातार प्रयास कर रही है। कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि बारहनाजा मिलेट्स उत्पादन उत्तराखंड की मौलिक पहचान रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने मंडुवा, कौणी, झंगोरा जैसे मिलेट्स को पुनः आधुनिक और वैज्ञानिक तौर – तरीकों से उत्पादित करने के लिए उत्तराखंड मिलेट्स पॉलिसी 2025 – 26 लाई है। जो 11 पर्वतीय जनपदों में लागू होगी। मंत्री ने कहा कि इसी तरह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को फल- पट्टी के रूप में डेवलप करने के लिए कीवी और ड्रैगन फ्रूट्स जैसे आधुनिक फलों के उत्पादन तथा सेब के उत्पादन को विस्तारित करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसी के  चलते सरकार ने उत्तराखंड कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट्स खेती योजना, मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना और सेब की तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना लाई है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से पहाड़ में लोगों को स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार मिलेगा जो पलायन जैसी समस्या की रोकथाम में भी प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से सहायक सिद्ध होगा।

उत्तराखण्ड स्टेट मिलेट्स पालिसी 2025-26:-

इस पालिसी के अन्तर्गत दो चरणो में कार्य किया जायेगा।

प्रथम चरण में 24 विकास खण्डों में 30000 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर

2025-26 से 2027-28 तक कार्य किया जाएगा।

द्वितीय चरण में 44 विकासखण्डों में 40000 है० क्षेत्रफल पर 2028-29 से 2030-31 तक कार्य किया जाएगा।

मिलेट् पॉलिसी प्रदेश के 11 जनपदों में लागू होगी।

उत्तराखण्ड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी के अन्तर्गत कुल रु० 134.89 करोड की कार्ययोजना का संचालन किया जायेगा।

इसमें मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी एवं चीना फसलों को सम्मिलित किया गया है।

जिसके तहत चयनित मिलेट फसलों के बीज एंव जैव उर्वरक को 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषकों को वितरित किया जायेगा। कृषकों को मिलेट्स की बुवाई करने पर प्रोत्साहन धनराशि दी जायेगी। पंक्ति बुवाई पर रु0 4000 प्रति हैक्टेयर तथा सीधी बुवाई पर रु0 2000 प्रति हैक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। समूह को मिलेट्स फसलों के अन्तग्रहण पर रू 150 कुंटल के स्थान पर रु० 300 प्रति कुंटल कुन्तल की दर से प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान किया जायेगा। प्रत्येक वर्ष  मिलेट्स पॉलिसी के तहत विकासखण्ड स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए 02 कृषक समूह को पुरस्कृत किया जायेगा।

प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर 01 मिलेट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जायेगी। मिलेट्स फसलो के संवर्धन और प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में न्यूट्री हब की एक परियोजना प्रबंधन ईकाई गठित की जाऐगी। इसमें थर्ड पार्टी आडिट का भी प्रावधान किया गया है। योजना के तहत 3 लाख से अधिक किसानों को लाभ देने का लक्ष्य है। श्रीअन्न फूड पार्क की स्थापना के लिए भी कार्य किया जाऐगा।

उत्तराखण्ड कीवी नीति :- प्रस्तावित नीति वर्ष 2025-26 से 2030-31 (6 वर्ष) तक रहेगी। कीवी उद्यान स्थापना हेतु कुल लागत 12 लाख प्रति एकड़ का 70 प्रतिशत राजसहायता का प्राविधान किया गया है। जिसमें 30 प्रतिशत लाभार्थी का अंश होगा। हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर को छोड़कर राज्य के शेष 11 जनपदों में इस नीति का क्रियान्वयन किया जायेगा। कीवी पालिसी के अन्तर्गत कुल रु0 894 करोड की कार्ययोजना का संचालन किया जायेगा। न्यूनतम भूमि 02 नाली (0.04है0) तथा अधिकतम भूमि 100 नाली (2है.) की पात्रता होगी। कीवी नीति के तहत 3500 हैक्टेयर क्षेत्रफल को आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है, जिसमे करीब 17500 किसान लाभान्वित होंगे। वर्तमान में राज्य के लगभग 683 हैक्टेयर के क्षेत्रफल में 382 मैट्रिक टन कीवी का उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान उत्पादन को बढ़ाकर 33000 मैट्रिक टन एवं उत्पादकता को बढ़ाकर लगभग 08 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर करने का लक्ष्य प्रस्तावित है।

ड्रैगन फ्रूट खेती की योजना :-

प्रस्तावित योजना वर्ष 2025-26 से 2027-28 (3 वर्ष) तक रहेगी। यह योजना राज्य के 07 जनपदों (उधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून, टिहरी) में लागू होगी।राज्य में ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन को आधुनिक / वैज्ञानिक पद्यति के माध्यम से बढ़ावा दिये जाने हेतु मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजनान्तर्गत स्वीकृत की गयी है। प्रस्तावित योजना में उद्यान स्थापना के लिए 08 लाख प्रति एकड़ का 80 प्रतिशत राजसहायता का प्राविधान है एवं शेष 20 प्रतिशत कृषक द्वारा वहन किया जाएगा। न्यूनतम भूमि 05 नाली (0.10है0) तथा अधिकतम भूमि 20 नाली (0.40है0) की पात्रता होगी। आगामी तीन वर्षों में योजना के लिए 15 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित की गयी है। वर्तमान में राज्य के लगभग 35 एकड़ क्षेत्रफल में 70 मै०टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किया जा रहा है। प्रस्तावित योजना में वर्तमान परिदृश्य एवं राज्य में ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन की अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत जनपद उधमसिंहनगर, नैनीताल, बागेश्वर, हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी एवं टिहरी को चयनित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक 228 एकड क्षेत्रफल का आच्छादन किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें 12 से 15 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता रहेगी।

इसमें राज्य के लगभग 450 कृषक लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना :- उत्तराखण्ड राज्य द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अन्तर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को 22.09.2022 के पश्चात मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अर्न्तगत अतिरिक्त 25% अथवा अधिकतम रू0 5 लाख टॉपअप दिया जा रहा है। पूर्व में इस योजनान्तर्गत सार्टिंग / ग्रेडिंग इकाईयों को सम्मिलित नहीं किया गया था।प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना योजनान्तर्गत राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में 22.09.2022 के पश्चात (जनपद- उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर, अल्मोड़ा का समस्त क्षेत्र, नैनीताल पर्वतीय क्षेत्र (हल्द्वानी व रामनगर को छोड़कर समस्त क्षेत्र), देहरादून पर्वतीय क्षेत्र (सहसपुर, रायपुर, डोईवाला व विकासनगर को छोड़कर समस्त क्षेत्र) में स्थापित सार्टिंग / ग्रेडिंग इकाईयों को भी मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अन्तर्गत अतिरिक्त 25% अथवा अधिकतम रू0 5.00 लाख टॉपअप दिया जाऐगा। इस योजना की स्वीकृति के बाद कुल 780 इकाईयों को लाभ मिलेगा।

इन इकाईयो की स्थापना से पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा और पलायन रुकेगा।

राज्य में सेब के तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन योजना :- इस योजनान्तर्गत 07 वर्षों (वर्ष 2024-25 से 2031-32) में रू.  129.97 करोड़ की धनराशि का प्राविधान है, जिसमें 22 सीए स्टोरेज एवं 180 सार्टिंग ग्रेडिंग इकाईयों की स्थापना का लक्ष्य है। यह योजना 11 जनपदों के 76 विकासखण्डों में संचालित होगी। इस योजनान्तर्गत सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई स्थापना के लिए व्यक्तिगत क्षेत्र में 15% व एफपीओ इत्यादि के लिए 35% टॉपअप दिया जाना है। वर्ष 2026-27 में व्यक्तिगत क्षेत्र के लिए 50% एवं एफपीओ इत्यादि हेतु 70% राजसहायता होगी। Control Atmosphere Cold Storage के लिए व्यक्तिगत क्षेत्रों, पंजीकृत फर्म, पार्टनरशिप फर्मों हेतु कुल 50% अर्थात अधिकतम कुल रू0 4 करोड़ की राजसहायता प्रदान किया जाना है। FPOS, SHGS, आदि के लिए 70% राजसहायता अर्थात रू0 5.70 करोड़ लाख दिया जाना है। सीए स्टोरेज के लिए स्वयं की भूमि होनी चाहिए या 30 वर्षों की लीज होनी चाहिए। सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई के लिए स्वयं की भूमि होनी चाहिए या 15 वर्षों की लीज होनी चाहिए।योजना के तहत 22 सीए स्टोरेज और 180 सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई स्थापना का लक्ष्य है। 1000 मैट्रिक टन सेब उत्पादक क्षेत्र में सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई स्थापित की जाऐगी। 5000 मैट्रिक टन सेब उत्पादक क्षेत्र में सीए स्टोरेज इकाई स्थापित की जाऐगी। अगले 07 वर्षों में सेब की अति सघन बागवानी योजना के तहत 5000 हैक्टेयर क्षेत्रफल को आच्छादित किया जाऐगा, जिसमें 25 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता होगी।

 

 

 

 

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