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Thursday, November 21, 2024

छठ पूजा की तैयारी को लेकर बिहारी महासभा की बैठक

देहरादून, 16 नवम्बर छठ पूजा की तैयारी को लेकर आज बिहारी महासभा कार्यालय में बिहारी महासभा की महत्वपूर्ण बैठक की गई। बैठक में सर्वसहमति से छठ पूजा के लिये पूजा की तैयारी और रूपरेखा पर निर्णय लिया गया। महत्वपूर्ण निर्णय लिया की कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार बिहारी महासभा सामूहिक स्तर पर यह आयोजन नहीं करेगी बल्कि बिहारी महासभा यह अपील करेगी कि पूरे प्रदेश के हर जिले में रहने वाले पूर्वांचल के सभी भाई बहन ने इस छठ महापर्व को अपने घर पर ही मनाए ।

कोरोना महामारी के इस बढ़ते लक्षण से बचाव के लिए 2 गज की दूरी और मास्क सेनीटाइजर का जरूर प्रयोग करें। बैठक मे बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है. हालांकि यह नहाय खाय के साथ ही शुरू हो जाता है जिसमें साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. व्रती नहाय-खाय के साथ ही महापर्व की तैयारियों में जुट जाते है .। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष बिहारी महासभा सामूहिक रूप से छठ पूजा का आयोजन नहीं करेगी बल्कि बिहारी महासभा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए इस वर्ष छठ पर्व का प्रसाद और व्रतियों के लिए वस्त्र की व्यवस्था कर रही है हजारों की तादात में बिहारी महासभा के कार्यकर्ता उन लोगों को फल और वस्त्र वितरित करेंगे जो लोग अपने घर में छठ पर्व को मनाएंगे ।

छठ बाजार मैं मुख्य रूप से पलटन बाजार , धाम वाला, प्रेम नगर बाजार चुक्खु मोहल्ला बाजार सहस्त्रधारा रोड आईटी पार्क बाजार से भी लोगों ने सूप, दउरा, आम की लकड़ी और फल एवं अन्य सामान खरीदना शुरू कर दिया है और सूर्यदेव के नमन की तैयारी पूरी की जा रही है ।

वहीं सभा के सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि छठ पूजा के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं. इसमें एक कथा में कहा गया है कि भगवान राम जब लंका विजय करने के बाद अयोध्या आए थे तब उन्होंने अपने कूल देवता सूर्य की उपासना की थी . देवी सीता के साथ उन्होंने पष्टी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अध्र्य दिया और सप्तमी को उगते हुए सूर्य की अराधना की. एक अन्य कथा सूर्य पुत्र कर्ण से भी जुड़ी है जो अंग देश के राजा थे और नियमित रूप से सूर्य की उपासना करते थे. छठ के व्रत के संबंध में प्रचलित कथाओं में एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा. तब उनकी मनोकामना पूरी हुई तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला.
वही बैठक में मौजूद अन्य वक्ताओं ने कहा कि ने बताया कि छठ पर्व मनाने के समय में कुछ खास मान्यतायें और सावधानियां बरतनी चाहिये। छठ शुभ फलसूर्य की उपासना का पर्व है. बड़े पैमाने पर लोग इस पूजन और पर्व को मनाते हैं. लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ इस चार दिन के पर्व को मनाते हैं. इसके लिए कई कड़े नियम तय किए गए हैं. साथ ही साथ इस पर्व के दौरान पूजन और विधि से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. ।

वहीं बिहारी महासभा के कोषाध्यक्ष रीतेश कुमार ने छठ व्रत के लाभ से जुड़ी मान्यताओं को बताया । उन्होंने कहा कि छठ के व्रत के साथ कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हैं. जिनमें से एक है संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को लाभकारी मानना. मान्यता है कि जिन लोगों को संतान न हो रही हो उन्हें यह व्रत करने से संतान प्राप्त होती है. इसके अलावा संतानवान लोग भी अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करते हैं. क्योंकि छठ सूर्य की उपासना का पर्व है, इसलिए मान्यता यह भी है कि कुंडली में सूर्य की स्थिति ख़राब होने पर या राज्य पक्ष से समस्या होने पर इस व्रत को रखने से लाभ होता है.छठ रखने वाले भक्तों की मानें तो कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की समस्या से परेशान लोगों को भी यह व्रत रखने से लाभ मिलता है…मान्यता के अनुसार जिन लोगों को संतान पक्ष से कोई कष्ट हो तो ये व्रत उनके लिए लाभदायक होता है.
व्रत की सावधानियां
जिस तरह व्रत रखने के लिए कई मान्यताएं हैं, ठीक उसी तरह व्रत के दौरान क्या करना है और क्या नहीं इससे जुड़ी भी बहुत सी मान्यताएं इस व्रत को करने वाले लोगों के बीच होती हैं. मान्यता के अनुसार भले ही घर के सभी लोग छठ का व्रत न रख रहे हों. लेकिन अगर घर में किसी एक ने भी व्रत रखा है, तो पूरे परिवार को तामसिक भोजन से परहेज करने होते हैं. मान्यता के मुताबिक पूरे परिवार को सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना होता है. छठ को अत्यंत सफाई और सात्विकता का व्रत माना जाता है. इसलिए इसमें सबसे बड़ी सावधानी यही मानी जाती है कि इस दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाना चाहिए. छठ सिर्फ लोक आस्था का महापर्व भर नहीं है, बल्कि अपनी जड़ों से जुडने का मौका भी है। प्रकृति के करीब जाने का अवसर है। गांव-घर लौटने का बहाना है।
बैठक में सभा के अध्यक्ष ललन् सिंह, सचिव चंदन कुमार झा, कोषाध्यक्ष रितेश कुमार, सतेंद्र सिंह,
गणेश साहनी, डॉ रंजन कुमार, डा0 राम विनय, अमरेन्द्र कुमार, आलोक सिंन्हा, रघु, धर्मेन्द्र कुमार, सुनील झा, अशोक कुमार, एस के सिन्हा, विद्याभुषण सिंह समेत कई सदस्य मौजूद थे।

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