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Monday, September 8, 2025
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श्रद्धा के साथ किया गया विविध कार्यक्रमों का आयोजन

हरिद्वार 7 सितंबर। गायत्री परिवार की संस्थापिका व नारियों के सांस्कृतिक उत्थान की अग्रदूत वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की 31वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शांतिकुंज सहित देश-विदेश के प्रज्ञा संस्थानों में विविध कार्यक्रमों का आयोजन भव्यता एवं श्रद्धा के साथ किया गया। इस दौरान आयोजित सांस्कृतिक संध्या में शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि की बहिनों ने भजन, गीत, लघु नाटिका एवं प्राचीन वाद्ययंत्रों-बासुरी, तबला, सितार आदि के प्रदर्शन के माध्यम से माताजी के विचारों को जीवंत किया। दर्शकों ने प्रस्तुतियों को सराहा और भावविभोर होकर माताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। महालयारंभ (पुण्यतिथि) के अवसर पर महिला जागरण रैली का भी आयोजन हुआ, जिसमें हजारों बहनों ने नारी जागरण, संस्कृति का उत्थान जैसे नारों के साथ सहभागिता की। यह रैली शांतिकुंज से प्रारंभ होकर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिसर से होते हुए जनजागरण का संदेश लेकर पुन: शांतिकुंज में समाप्त हुई। इस दौरान भाइयों की टीम ने यातायात, सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाई। प्रात:कालीन सभा को संबोधित करते हुए महिला मंडल की प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने कहा कि माताजी का सम्पूर्ण जीवन जीव मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहा। माताजी ने नारियों के सांस्कृतिक, सामाजिक व आध्यात्मिक उत्थान के लिए आजीवन कार्य किया। वे प्रत्येक नारी को शक्ति स्वरूपा मानती थीं और उनके भीतर छिपी संभावनाओं को जाग्रत करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहीं। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने अपने संदेश में कहा कि माताजी के जीवन मूल्य, त्याग और नारी उत्थान के प्रति समर्पण आज भी हम सभी के लिए पथप्रदर्शक हैं। हमें उनके विचारों को जीवन में अपनाते हुए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। वंदनीया माताजी का यह प्रेरक वाक्य आज भी हम सभी गायत्री परिवार के परिजनों को मार्गदर्शन देता है कि मेरे पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति बेटा व बेटी समान है। मेरा घर उन सभी का मायका तुल्य है। 21वीं सदी नारी सदी होगी। कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना और संकल्प के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित जनसमुदाय ने माताजी के दिखाए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा ली। अनेक बहिनों ने माताजी की सुरभित स्मृतियों से उनके व्यक्तित्व व कर्तृत्व को उजागर किया। वहीं सायंकालीन सभा में बहिनों के संचालन में गायत्री दीपमहायज्ञ का आयोजन हुआ।

 

 

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