9.2 C
Dehradun
Thursday, November 21, 2024

पद्मभूषण से सम्मानित सुश्री बछेंद्री पाल के नेतृत्व में पर्वतारोहण के लिए रवाना हुआ दल

देहरादून, 10 अक्टूबर। आज उत्तराखण्ड के देहरादून से पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित सुश्री बछेंद्री पाल के नेतृत्व में फिट @50 प्लस अभियान की सभी महिलाएं (All women from fit @50 plus expedition) पर्वतारोहण के लिए हिमाचल होते हुए कई जगह जाकर 18 अक्टूबर को वापसी करेंगी। अभियान टोली में 11 सदस्य हैं, जिसमें पद्मश्री तथा राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार विजेता प्रेमलता अग्रवाल जिन्होंने 7 महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी पर चढाई की, विमला नेगी देउस्कर (महाराष्ट्र से एवरेस्ट), मीनाक्षी घिल्डियाल/पोपली उत्तर प्रदेश की अन्तर्राष्ट्रीय खिलाडी, मेजर (सेवा निवृत) कृष्णा दूबे उत्तरप्रदेश, आशा तोमर, गंगोत्री (शिक्षा विद), परिता व सुषमा गुजरात, सुशीला रावत (शिक्षा विभाग), राजेन्द्र पाल (एवरेस्टर) ने प्रथम पर्वतारोही एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल के नेतृत्व में अभीयान के लिए प्रस्थान किया।इस अवसर पर राज्य मंत्री श्रीमती विनोद उनियाल ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दल के सभी सदस्यों का उत्साह व साहस काबिले-ए-तारीफ है। दल के सभी सदस्यों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। इस लिए धैर्य, समझदारी व सहयोग के साथ अपनी यात्रा को सफल बनायें। राज्य मंत्री श्रीमती विनोद उनियाल ने बताया कि बछेंद्री पाल, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन १९८४ में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। बछेंद्री पाल का जन्म नाकुरी उत्तरकाशी, उत्तराखंड में सन् 1954 को हुआ। खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड. तक की पढ़ाई पूरी की। बछेंद्री पाल के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर ‘सागरमाथा (एवरेस्ट)’ पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। उन्होने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत शृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!