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Thursday, November 21, 2024

श्रम बोर्ड का होगा स्पेशल ऑडिट, मंत्री हरक सिंह पर सरकार सख्त

देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सचिव दमयंती रावत समेत सभी हरक समर्थकों को त्रिवेंद्र सरकार बोर्ड से बाहर कर नए बोर्ड का गठन कर चुकी है।नवगठित बोर्ड की पहली बैठक में बोर्ड में सभी तरह के लेन-देन का स्पेशल ऑडिट कराने के साथ ही कोटद्वार कार्यालय को बंदकर 38 फील्ड कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला लिया गया। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, कोटद्वार से विधायक भी हैं, लिहाजा, यह फैसला उनके लिए कड़ा सदेश माना जा रहा है और भविष्य में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई नवगठित बोर्ड की पहली बैठक में 2017 से बोर्ड का ऑडिट नहीं कराने पर हैरानी जताई गई। जबकि पहले हल्द्वानी में श्रम बोर्ड कार्यालय का हर साल ऑडिट होता था। बैठक में बोर्ड के वित्तीय और प्रशासनिक मामलों का स्पेशल ऑडिट करने का फैसला लिया गया। बोर्ड में वित्त विभाग का एक भी अधिकारी व कर्मचारी नहीं होने पर भी सवाल उठे। बैठक में तय किया गया कि बोर्ड में एक वित्त विभाग का अधिकारी तैनात होगा। प्रशासनिक फंड में भी गोलमाल हुआ बोर्ड में पांच प्रतिशत प्रशासनिक फंड के नाम पर लाखों की धनराशि खर्च करने का मामला भी उजागर हुआ। इसकी भी जांच कराई जाएगी।

दफ्तर भी सवालों के घेरे में: बैठक में किराये के भवन में चल रहे कार्यालय को लेकर भी सवाल उठे। यह तथ्य उजागर हुआ कि यह कार्यालय मंत्री की करीबी कांग्रेस की एक पूर्व राज्यमंत्री के आवास पर कार्यालय दो तलों में चल रहा है। जबकि एग्रीमेंट के अनुसार, एक तल पर कार्यालय खोलने की अनुमति दी गई थी। तथा पूरे भवन की बिजली का 50 बिल का भुगतान बोर्ड कर रहा है। जबकि एक अन्य कार्यालय भी भवन में है, उसका बिल भी बोर्ड के खाते से दर्ज हो रहा है। बैठक में बोर्ड का दफ्तर सरकारी भवन में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया।

बोर्ड में श्रमिकों के अब तक हुए पंजीकरण का सत्यापन करने का फैसला किया है।क्यूँ कि कहा जा रहा है पंजीकरण में पारदर्शिता नहीं अपनाई गई है। श्रम मंत्री ने इसी अगस्त में यह जानकारी दी थी कि कर्मकार बोर्ड के खातों में 81.26 करोड़ रुपये जमा है। लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि बोर्ड के खाते में 35 करोड़ रुपये ही जमा है। बाकी धनराशि कहां गई है, इसे लेकर नवगठित बोर्ड भी हैरान परेशान है। इन मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो दिन पूर्व समीक्षा बैठक में नाराजगी जाहिर की थी

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