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Friday, November 22, 2024

भंडाफोड़: दून में एनआरआई की करोड़ो की भूमि के फर्जी कागज बनाने वाला गिरोह दबोचा

  • इंग्लैंड निवासी NRI महिला की करोड़ो की भूमि के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह का दून पुलिस ने किया भंडाफोड़
  • 3 शातिर अभियुक्तों को किया गिरफ्तार, मुख्य अभियुक्त ओमवीर के विरुद्ध भूमि धोखाधड़ी के कई अभियोग है पंजीकृत
  • अभियुक्त ओमवीर देहरादून में विवादित तथा काफी समय से खाली पड़ी जमीनो पर रखता था नजर, मौका मिलते ही अपने साथियो के साथ उक्त जमीनो के कूटरचित प्रपत्र बनाकर अन्य लोगो को कर देता था विक्रय
  • अभियुक्तो द्वारा NRI महिला की भूमि के भी मुजफ्फरनगर निवासी एक व्यक्ति के नाम पर बनाये थे कूटरचित विलेख पत्र
  • जमीन फर्जीवाड़े में दून पुलिस जड़ तक जाकर सभी सक्रिय गैंग का पर्दाफाश करेगी,कुछ अन्य लोगो का भी इस तरह संगठित गैंग बनाकर लंबे समय से देहरादून में जमीनों की धोखाधड़ी करना प्रकाश में आया है प्रारंभिक साक्ष्यों व लगातार सामने आ रहे ऐसे प्रकरणों से ऐसा लगता है की जमीन धोखाधड़ी में कही न कही जो अवैध अकूत संपति ऐसे अपराधियों द्वारा अर्जित की गई है, उसके पीछे कई अन्य बड़े अपराध भी अपराधियों द्वारा किए जाने की संभावना है, जिनकी गहनता से विस्तृत जांच कर ऐसे सभी अपराधियों की संपत्ति को जब्त कराने के साथ साथ ऐसे अपराधियों द्वारा प्रताड़ित सभी पीड़ितों को न्याय दिलाना दून पुलिस की प्राथमिकता है : – एसएसपी देहरादून

देहरादून 8 अक्टूबर, देहरादून में कई जमीनो के कूटरचित विलेख व अन्य प्रपत्रों को तैयार कर उन्हे रजिस्ट्रार कार्यालय मे सम्बन्धित रजिस्टरों में फर्जी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज कर जमीनों की खरीद फरोख्त का फर्जीवाड़ा प्रकाश में आने पर रजिस्ट्रार कार्यालय के सहायक महानिरीक्षक निबन्धन संदीप श्रीवास्तव द्वारा कोतवाली नगर देहरादून में अब तक 9 अभियोग पंजीकृत कराये जा चुके है। जिनमें SIT टीम द्वारा लगातार अथक प्रयासों से साक्ष्य संकलन कर गहन विवेचना की जा रही है। उक्त प्रकरण में अब तक 13 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जिनसे पूछताछ में उक्त जमीनो के फर्जीवाडे में और भी अभियुक्तों के नाम प्रकाश में आ रहे है।
6 अक्टूबर को गिरफ्तार अभियुक्त अजय मोहन पालिवाल से गहन पूछताछ में यह बात प्रकाश में आयी कि अभियुक्त फॉरेन्सिक एक्सपर्ट था जिसने अभियुक्त कमल बिरमानी, केपी सिंह आदि के साथ मिलकर कई जमींनो के फर्जी विलेख पत्रों में फर्जी राइटिंग एवं हस्ताक्षर बनाये थे, जिसका प्रयोग कर अभियुक्तगणों द्वारा फर्जी तरीके से जमीनो को बेच कर करोड़ो रूपये कमाये गये। पूछताछ में अजय मोहन पालीवाल द्वारा केपी सिंह के कहने पर एक NRI महिला रक्षा सिन्हा की राजपुर रोड पर स्थित भूमि के कूटरचित विलेख पत्र रामरतन शर्मा के नाम से बनाकर देहरादून निवासी ओमवीर व मुजफ्फर नगर निवासी सतीश व संजय को को दिये जाने की बात बताई गयी थी।

अजय मोहन पालीवाल के बयानों को तस्दीक करने पर ज्ञात हुआ कि राजपुर रोड मधुबन होटल के सामने एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा की करीब दो ढाई बीघा भूमि है, जिसके कूटरचित दस्तावेजो को रजिस्ट्रार कार्यालय में सम्बन्धित रजिस्टर में लगा देने के सम्बन्ध में सहायक महानिरीक्षक निबन्धन द्वारा कोतवाली नगर में मुकदमा 412/23 धारा 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी दर्ज कराया गया है, जिसकी विवेचना SIT टीम द्वारा की जा रही है। अजय मोहन पालीवाल के बयानों के आधार पर SIT टीम द्वारा ओमवीर, सतीश व संजय के विरुद्ध साक्ष्य संकलन की कार्यवाही करते हुये उन्हे गिरफ्तार किया गया ।

अभियुक्तो से पूछताछ करने पर प्रकाश में आया कि देहरादून निवासी ओमवीर का पूर्व से ही जमीनो के फर्जीवाड़े का आपराधिक इतिहास रहा है तथा पूर्व में कई विवादित जमीनो में भी इसकी संलिप्ता रही है। ओमवीर की जान पहचान सहारनपुर निवासी केपी सिंह से थी तथा ओमवीर भी देहरादून में विवादित व खाली पड़ी जमीनो पर नजर रखता था । ओमवीर की नजर राजपुर रोड मधुबन के पास स्थित दो-ढाई बीघा जमीन पर पड़ी जिसके सम्बन्ध में जानकारी करने पर उसे ज्ञात हुआ कि उक्त जमीन विदेश में रहने वाली NRI महिला रक्षा सिन्हा के नाम पर है, जो काफी वर्षों से देहरादून नहीं आई है, ओमवीर ने रक्षा सिन्हा की पूरी जानकारी निकाली तो उसे पता चला कि रक्षा सिन्हा के पिता पीसी निश्चल देहरादून में ही रहते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है।

इस जमींन के बारे में ओमवीर के द्वारा केपी सिंह को बताया गया तथा केपी ने उक्त जमीन को उत्तराखण्ड के बाहर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड विलेख पत्र के माध्यम से करा देने का आश्वासन दिया परन्तु इसके लिए ओमवीर को किसी बाहरी बुजुर्ग व्यक्ति को लाने की जिम्मेदारी दी गयी। ओमवीर ने अपने परिचित सतीश के माध्यम से उसके दोस्त संजय (जो की मुजफ्फरनगर का रहने वाला है) के पिता रामरतन शर्मा के नाम पर उक्त भूमि के फर्जी विलेख पत्र केपी सिह के माध्यम से तैयार करवाये गये तथा उक्त भूमि को सन् 1979 में पीसी निश्चल से राम रतन के नाम क्रय-विक्रय करना दिखाया गया। इसके पश्चात इनके द्वारा कूटरचित विलेख पत्र को सोनू, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में बाईन्डर का कार्य करता था, के माध्यम से रजिस्ट्रार कार्यालय में सम्बन्धित रजिस्टरों पर लगा दिये गये।
इसके पश्चात ओमवीर द्वारा उक्त प्रॉपर्टी को मार्केट में बिकने हेतु उतारी गयी। पूर्व से ही इस प्रॉपर्टी की अच्छी जानकारी रखने वाले देहरादून निवासी मनोज तालीयान को उक्त प्रॉपर्टी के सम्बन्ध में जानकारी होने पर इनके द्वारा राम रतन शर्मा व इनके बेटे संजय शर्मा से मुजफ्फर नगर में मिलकर उक्त जमीन का सौदा ग्रीन अर्थ सोलर पावर लिमिटेड से 3 करोड़ 10 लाख में सौदा तय कराया तथा एग्रीमेन्ट का 1 करोड़ 90 लाख रूपये संजय सिंह को दिये, जिसमें से पूर्व में तय अनुसार संजय सिंह को 66 लाख और ओमवीर को 96 लाख व सतीश को 38 लाख के करीब की धनराशि मिली। उक्त भूमि की सम्बन्धित कम्पनी को रजिस्ट्री की जानी थी परन्तु सम्बन्धित कम्पनी द्वारा उक्त भूमि के पूर्व में चले आ रहे विवाद के हल होने के बाद ही रजिस्ट्री कराने तथा शेष रकम रजिस्ट्री के बाद देने की बात कही गयी थी। इससे पूर्व विवाद का हल होता देहरादून में विभिन्न जमीनो के फर्जी विलेख तैयार करने सम्बन्धी मामला उजागर हो गया।

पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार अभियुक्त :- संजय कुमार शर्मा पुत्र रामरतन शर्मा निवासी पंचेड़ा रोड निकट गोल्डन पब्लिक स्कूल थाना नई मंडी, मुज्जफरनगर उत्तर प्रदेश, उम्र 48 वर्ष। ओमवीर तोमर पुत्र स्व ओमप्रकाश निवासी B 220 सेक्टर 2, डिफेंस कॉलोनी देहरादून, उम्र 67 वर्ष और सतीश कुमार पुत्र स्व. फूल सिंह निवासी 1728 जनकपुरी रुड़की रोड़ थाना सिविल लाइन, मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश, उम्र 60 वर्ष।

अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास :- अभियुक्त ओमवीर तोमर के ऊपर थाना क्लेमनटाउन देहरादून में 3 मुक़दमे दर्ज हैं। पुलिस द्वारा अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास की और भी जानकारी जुटाई जा रही है।

अभियुक्तों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम :- इंचार्ज इंस्पेक्टर कोतवाली राकेश कुमार गुसांई, इंस्पेक्टर नन्द किशोर भट्ट इंचार्ज एसओजी, एसआई प्रदीप सिंह रावत एसएसआई कोतवाली नगर, एसआई मनमोहन नेगी (एसआईटी), एसआई हर्ष अरोड़ा (SOG), एसआई अमित मोहन ममगई (विवेचक), हेड कॉन्स्टेबलकिरण (SOG), कॉन्स्टेबल ललित, देवेन्द्र, कॉन्स्टेबल पंकज, कॉन्स्टेबल आशीष शर्मा (SOG)।

 

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