नैनीताल, हाई कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी 1998 बैच के चर्चित आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन व अन्य की अपीलों पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने शनिवार को भ्र्ष्टाचार के मामले में उत्त्तराखण्ड के पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने श्वेताभ सुमन सहित डॉ अरुण कुमार सिंह व विक्रम सिंह की बेल बांड खारिज करते हुए सभी को हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं। जुर्माना अदा नहीं करने पर श्वेताभ सुमन की 5 साल की सजा बरकरार रखते हुए 2 महीने की सामान्य सजा के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट के जज रविन्द्र मैठाणी के आदेश के अनुसार इसके अलावा डॉ अरुण कुमार सिंह व राजेन्द् विक्रम सिंह को पूर्व की सजा बहाल करते हुए 4-4 महीने जेल की सामान्य सजा सुनायी है।
बताते चलें कि गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर श्वेताभ सुमन के खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसके बाद सीबीआइ ने आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन के 14 ठिकानों पर छापा मारा। तब वह संयुक्त आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत थे। जांच में सीबीआइ ने पाया कि संयुक्त आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन के पास आय से 337 प्रतिशत संपत्ति है। यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में स्थित है। संपत्ति को उन्होंने अपनी माता व जीजा के नाम किया था।…………
सीबीआइ जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों से दान कराया, बाद में उस धन को अपनी पत्नी व माता के खाते में ट्रांसफर कर लिया था। 13 फरवरी 2019 को स्पेशल जज सीबीआइ देहरादून ने श्वेताभ सुमन को सात साल की सजा सुनाई तथा तीन करोड़ 70 लाख जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा, दो दोस्तों को चार-चार साल की सजा सुनाई। इस आदेश के खिलाफ अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी जिसकी सुनवाई में आज ये फैसला सुनाया गया है।