नई दिल्ली, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई ) की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को रविवार देर रात सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले शनिवार को दिल्ली में सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने एनएसई ‘कोलोकेशन’ मामले में चित्रा रामकृष्ण को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाल ही में एनएसई ‘कोलोकेशन’ मामले में सीबीआई ने रामकृष्ण से पूछताछ की थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहले मुंबई और चेन्नई में चित्रा रामकृष्ण से जुड़े विभिन्न परिसरों पर छापा मारा था। रामकृष्ण मार्केट रेगुलेटर सेबी की जांच के घेरे में भी हैं।
ज्ञात हो कि चित्रा रामकृष्णा एनएसई से जुड़ी गोपनीय जानकारियां हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात ‘योगी’ से शेयर करने को लेकर जांच का सामना कर रही हैं। सीबीआई इस मामले में आनंद सुब्रमण्यम को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
सीबीआई ने मार्केट रेगुलेटर सेबी की हालिया जांच रिपोर्ट के बाद ये एक्शन लिया है। दरअसल, चित्रा रामकृष्णा NSE से जुड़ी गोपनीय जानकारियां हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात ‘योगी’ से शेयर करने को लेकर जांच का सामना कर रही हैं. सीबीआई इस मामले में आरोपी चित्रा से मुंबई में पूछताछ कर चुकी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहले मुंबई और चेन्नई में चित्रा रामकृष्ण से जुड़े ठिकानों पर छापा मारा था।
वहीं, चित्रा के कथित सलाहकार और एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम को सीबीआई पहले ही गिफ्तार कर चुकी है।
सीबीआई के मुताबिक, एनएसई में वर्ष 10 से 2015 के बीच कथित गड़बड़ियां देखी गईं। मार्च 2013 तक रवि नारायण एनएसई के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर थे। उस दौरान चित्रा कंपनी की डिप्टी सीईओ थीं। उन्होंने अप्रैल, 2016 में रवि नारायण का स्थान लिया और दिसंबर 2016 तक इस पर पद पर रहीं।
चित्रा पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1985 में आईडीबीआई बैंक से की थी। उन्होंने कुछ समय के लिए सेबी में भी काम किया था। साल 1991 में एनएसई की स्थापना से ही वह मुख्य भूमिका में थीं. एनएसई के पहले सीईओ आरएच पाटिल की अगुआई में चित्रा उन 5 लोगों में शामिल थीं जिन्हें ‘हर्षद मेहता घोटाला’ के बाद एक पारदर्शी स्टॉक एक्सचेंज बनाने के लिए चुना गया था। साल 2013 में रवि नारायण का कार्यकाल समाप्त होने के बाद चित्रा को 5 साल के लिए एनएसई का चीफ बनाया गया था। चित्रा रामकृष्ण ने 2013 में एनएसई का सबसे बड़ा अधिकारी बनने के तुरंत बाद आनंद को नौकरी पर रख लिया था। उसे एनएसई की नौकरी जिस तरीके से दी गई, उसकी पूरी प्रक्रिया ही कई सवाल खड़े करती है। आनंद को 2013 में एनएसई में चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर के पद पर बहाल किया गया. इससे पहले एनएसई में ऐसा कोई पद होता ही नहीं था। आनंद इससे पहले जो नौकरी कर रहा था, उसका रोल भी बिलकुल अलग था। सेबी के आदेश में साफ कहा गया है गया है कि आनंद को बिना पात्रता के ही एनएसई में नौकरी दी गई।आनंद इससे पहले सरकारी कंपनी बामर लॉरी में नौकरी कर रहा था, जहां उसकी सैलरी सालाना 15 लाख रुपये थी। जब उसे एनएसई में सीएसओ बनाया गया तो 1.38 करोड़ रुपये का भारी भरकम पैकेज भी दिया।