देहरादून, डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की नाग पंचमी पर इस साल दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। राहु-केतु और काल सर्प दोष से जुड़े ये महासंयोग 108 साल बाद बन रहे हैं। नाग पंचमी पर इस बार योग उत्तरा और हस्त नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इस दिन काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए परिगणित और शिन नामक नक्षत्र भी लग रहा है। मेष, वृषभ, कर्क और मकर राशि के जातकों को धन लाभ मिलने की संभावना है। नाग पंचमी इस साल शुक्रवार, 13 अगस्त को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व है। सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल प्राप्त होने की मान्यता है। इस बार नाग पंचमी का पर्व 13 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का विशेष महत्व माना गया गया है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने के साथ दूध से स्नान कराने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नागपंचमी के दिन पूजा करने पर काल सर्प से मुक्ति मिलेगी।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त :-
पंचमी तिथि प्रारंभ 12 अगस्त 2021 को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर
पंचमी तिथि समाप्त 13 अगस्त 2021 को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त 2021 सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
नाग पंचमी पूजा सामग्री :- नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति, लकड़ी की चौकी, जल, पुष्प, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत, लड्डू और मालपुए, सूत्र, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, धूप-दीप, ऋतु फल, पान का पत्ता दूध, कुशा, गंध, धान, लावा, गाय का गोबर, घी, खीर और फल आदि पूजन समाग्री होनी चाहिए।
नाग पंचमी पूजा विधि :- नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई और खीर बना लें। अब लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर नागदेवता की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं. नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं और आरती करें। फिर लड्डू और खीर अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। इस दिन सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
नाग पंचमी का महत्व :- नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन पूजा करने पर सर्प से किसी भी प्रकार की हानि का भय नहीं रहता। जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन पूजा करने से इस दोष से छुटकारा मिल जाती है। यह दोष तब लगता है, जब समस्त ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा राहु-केतु की वजह से यदि जीवन में कोई कठिनाई आ रही है, तो भी नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने पर राहु-केतु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है।
नाग पूजा की क्या है मान्यताएं :- नाग पंचमी मनाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को समस्त नाग वंश ब्रह्राजी के पास अपने को श्राप से मुक्ति पाने के लिए मिलने गए थे। तब ब्रह्राजी ने नागों को श्राप से मुक्ति किया था, इसके बाद से नागों का पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को कालिया नाग का वध किया था। इस तरह उन्होंने गोकुलवासियों की जान बचाई थी। तब से नाग पूजा का पर्व चला आ रहा है।
मेष :- मेष राशि के जातकों के लिए धन लाभ के योग बनेंगे। संतान पक्ष की उन्नति होगी। लंबे समय से चली आ रही चिंताओं का हल निकलेगा। इस राशि के जातक नागपंचमी पर अनंत नाग की पूजा करें।
वृषभ :- आर्थिक स्थिति दुरुस्त होगी। संपत्ति का भी लाभ हो सकता है। नए काम की शुरुआत हो सकती है। वृष राशि के जातक नागपंचमी पर कुलिग नाग की पूजा करें।
मिथुन :- मिथुन राशि के जातकों को स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। घर-परिवार में वाद-विवाद हो सकता है। नाग पंचमी पर इस राशि के जातकों को आपको वासुकि नाग की पूजा करना चाहिए।
कर्क :– कर्क राशि वालों को नौकरी में नए अवसर मिलेंगे। कारोबार में लाभ होने की संभावना है। व्यर्थ के विवादों से दूर रहें। शंखपाल नाग की पूजा करने से इस राशि के जातकों को लाभ होगा।
सिंह :- सिंह राशि के जातक मानसिक रूप से मजबूत महसूस करेंगे। आपके रुके हुए काम बनेंगे। संपत्ति का भी लाभ हो सकता है। इस दिन आपको पद्म नाग की पूजा करनी चाहिए।
कन्या :– कन्या राशि वालों के लिए छोटी यात्रा के योग हैं। करियर में लाभ हो सकता है। धन लाभ के भी योग बन रहे हैं। इस राशि के लोगों को महापद्म नाग की पूजा करने से फायदा होगा।
तुला :- तुला राशि वाले अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें। किसी भी तरह का वहम न पालें। शिवजी को जल अर्पित करें साथ ही तक्षक नाग की पूजा जरूर करें।
वृश्चिक :– वृश्चिक राशि वाले अपनी जिम्मेदारियों से बचेंगे। अनावश्यक तनाव ले सकते हैं। हालांकि जीवनसाथी को लाभ के योग हैं। इन्हें नागपंचमी पर कर्कोटग नाग की पूजा करनी चाहिए।
धनु :- करियर में कुछ बदलाव हो सकता है। परिवार में व्यस्तता रहेगी। धन की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस राशि के लोग शंखचूर्ण नाग की पूजा करें।
मकर :- मानसिक तनाव समाप्त होगा। धन की स्थिति अच्छी बनी रहेगी। करियर में परिवर्तन की स्थिति। मकर राशि के लोगों को नाग पंचमी पर घातक नाग की पूजा करनी चाहिए।
कुंभ :- कुम्भ राशि के जातकों को स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। व्यर्थ की चिंताओं से बचकर रहें। शिवजी को जल अर्पित करें। साथ ही विषधर नाग की पूजा अवश्य करें।
मीन :- मीन राशि वालों की नौकरी में बदलाव के योग है। छोटी यात्रा हो सकती है। शिक्षा के मामलों में सफलता मिलेगी। इस राशि के लोगों को शेषनाग की पूजा करनी चाहिए।
नाग पंचमी की कथा
प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था।
एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी डलिया (खर और मूज की बनी छोटी आकार की टोकरी) और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी। तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा- ‘मत मारो इसे? यह बेचारा निरपराध है।’ यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उससे कहा-‘हम अभी लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत। यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहाँ कामकाज में फँसकर सर्प से जो वादा किया था उसे भूल गई।
उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो सब को साथ लेकर वहाँ पहुँची और सर्प को उस स्थान पर बैठा देखकर बोली- सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा- ‘तू भैया कह चुकी है, इसलिए तुझे छोड़ देता हूं, नहीं तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता। वह बोली- भैया मुझसे भूल हो गई, उसकी क्षमा माँगती हूं, तब सर्प बोला- अच्छा, तू आज से मेरी बहिन हुई और मैं तेरा भाई हुआ। तुझे जो मांगना हो, माँग ले। वह बोली- भैया! मेरा कोई नहीं है, अच्छा हुआ जो तू मेरा भाई बन गया।
कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप रखकर उसके घर आया और बोला कि ‘मेरी बहिन को भेज दो।’ सबने कहा कि ‘इसके तो कोई भाई नहीं था, तो वह बोला- मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूँ, बचपन में ही बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया। उसने मार्ग में बताया कि ‘मैं वहीं सर्प हूँ, इसलिए तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहां मेरी पूछ पकड़ लेना। उसने कहे अनुसार ही किया और इस प्रकार वह उसके घर पहुंच गई। वहाँ के धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई।
एक दिन सर्प की माता ने उससे कहा- ‘मैं एक काम से बाहर जा रही हूँ, तू अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना। उसे यह बात ध्यान न रही और उससे गर्म दूध पिला दिया, जिसमें उसका मुख बेतरह जल गया। यह देखकर सर्प की माता बहुत क्रोधित हुई। परंतु सर्प के समझाने पर चुप हो गई। तब सर्प ने कहा कि बहिन को अब उसके घर भेज देना चाहिए। तब सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना, चाँदी, जवाहरात, वस्त्र-भूषण आदि देकर उसके घर पहुँचा दिया।
इतना ढेर सारा धन देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा से कहा- भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो उससे और भी धन लाना चाहिए। सर्प ने यह वचन सुना तो सब वस्तुएँ सोने की लाकर दे दीं। यह देखकर बड़ी बहू ने कहा- ‘इन्हें झाड़ने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए’। तब सर्प ने झाडू भी सोने की लाकर रख दी।
सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था। उसकी प्रशंसा उस देश की रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली कि- सेठ की छोटी बहू का हार यहाँ आना चाहिए।’ राजा ने मंत्री को हुक्म दिया कि उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो मंत्री ने सेठजी से जाकर कहा कि ‘महारानीजी छोटी बहू का हार पहनेंगी, वह उससे लेकर मुझे दे दो’। सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मंगाकर दे दिया।
छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी, उसने अपने सर्प भाई को याद किया और आने पर प्रार्थना की- भैया ! रानी ने हार छीन लिया है, तुम कुछ ऐसा करो कि जब वह हार उसके गले में रहे, तब तक के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरों और मणियों का हो जाए। सर्प ने ठीक वैसा ही किया। जैसे ही रानी ने हार पहना, वैसे ही वह सर्प बन गया। यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी।
यह देख कर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी कि छोटी बहू को तुरंत भेजो। सेठजी डर गए कि राजा न जाने क्या करेगा? वे स्वयं छोटी बहू को साथ लेकर उपस्थित हुए। राजा ने छोटी बहू से पूछा- तुने क्या जादू किया है, मैं तुझे दण्ड दूंगा। छोटी बहू बोली- राजन ! धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा- अभी पहिनकर दिखाओ। छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो गया।
यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं। छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई। उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी।
तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहिन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूँगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।