देहरादून, 21 नवंबर राजधानी में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ छठ महापर्व मनाया गया। शनिवार को उगते हुए सूर्य भगवान को हजारों श्रद्धालुओं ने अर्घ्य दिया। अधिकतर श्रद्धालुओं ने घरों में अर्घ्य दिया और विधि विधान से पूजन किया। हालांकि कुछ श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदियों और नहरों के किनारे भी छठ पर्व मनाया। व्रतियों ने बहते जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। इसके बाद व्रतियों ने व्रत खोला।
छठ महापर्व के अंतिम दिन भोर से ही घरों में सक्रियता शुरु हो गई थी। व्रतियों के साथ परिजन भी भोर में ही ही उठ गए। लोगों ने स्नान ध्यान किया। जिन लोगों को घरों में अर्घ्य देना था उन्होंने घरों में ही व्यवस्था कर रखी थी। लेकिन जिन लोगों को नहर, नदी, तालाब में उतर कर अर्घ्य देना था वे और पहले उठ गए। उन्होंने तेजी से सारे इंतजाम किए। राजधानी के सौंग, बांदल, रिस्पना, तमसा नदियों के किनारे समेत नहरों के किनारे श्रद्धालु घोर अंधकार में ही पहुंच गये थे। वहां पर उन्होंने साफ सफाई कर पूजा शुरु की। कड़ाके की ठंड के बावजूद व्रती जल में उतरे और सूर्य आराधन शुरु कर दिया। उन्होंने रत्ती भर भी ठंड की परवाह नहीं की। इसके बाद वैदिक ऋचाओं के साथ सूर्य आराधन किया गया। भोजपुरी, मगही, मैथिली में गीत गाते हुए आराधन किया गया। श्रद्धालु बिना रुके पूजन करते रहे। उन्हें सूर्य भगवान के उदित होने की प्रतीक्षा थी। जैसे ही सूर्यदेव उदित हुए व्रतियों ने अर्घ्य देना प्रारंभ कर दिया। जैसे ही श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को उगते हुए देखा तो आतिशबाजी की गई। वातावरण गायत्री मंत्रों से गुंजायमान हो उठा। संस्कृत मंत्रों के साथ बिहार की विभिन्न बोलियों में भक्ति भरे गीत गाए जाने लगे। इससे श्रद्धालुओं में और उत्साह आ गया। जैसे ही अर्घ्य देना पूर्ण हुआ तब श्रद्धालुओं ने वर्तियों के चरण छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद लोगों ने भावुक मन से छठी मइया के गीत गाकर उनका भावपूर्ण स्मरण किया। व्रतियों ने प्रभु को व्रत पूर्ण होने पर धन्यवाद दिया। मिथिला पूर्वा देवभूमि महासभा के सदस्यों ने रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगला के छठ पर्व के अंतिम दिन शनिवार को उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया गया। पंडित विनोद झा, हरे राम झा, आमोद राय, अरुण चौधरी, त्रिवेणी राय, दीपक पंडित, पिंटू रज्जक, अजय राणा आदि का योगदान रहा। डालनवाला इंदर रोड में अनिल प्रजापति, गौतम पंडित के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने सारी व्यवस्था की थी।
राजधानी में श्री टपकेश्वर तीर्थ स्थित तमसा नदी, राबहर्स केव, रायपुर, सुभाषनगर, प्रेमनगर, भाऊवाला, सहस्त्रधारा, राजपुर, पथरी बाग, मालदेवता, मालसी, काठबंगला, आरकेडिया, हरबंशवाला, वसंत विहार, क्लेमेंटटाऊन, थानों, विकासनगर, सहसपुर, हरभजवाला, सुद्धोवाला में अर्घ्य दिया गया।
व्रतियों ने 36 घंटे बाद अन्न जल ग्रहण किया। अर्घ्य देने के उपरांत प्रात:काल ठंड के कारण उनके लिए गरम गरम चाय बनाई गई। इसके साथ अग्नि सेकने की भी व्यवस्था की गई। व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आग की भी सिकाई की। नदियों के किनारे ही गरमागरम पकौड़े, आलू फ्राय, पापड़, टिक्की आदि बनाए गए। यहां पर कई लोगों ने पूर्वांचल के तमाम व्यंजन बनाए और व्रतियों के लिए स्नैक्स बनाए। इससे व्रतियों को राहत मिली।