-
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने किया स्वास्थ्य सुविधा का औपचारिक उद्घाटन
-
देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही पैट-स्कैन की सुविधा
-
रोगियों को पैट-स्कैन जांच के लिए नहीं जाना होगा उत्तराखंड से बाहर
देहरादून, 19 नवम्बर हिमालयन इंस्टीट्यूट जौलीग्रांट के कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआई) में उत्तराखंड के पहले पैट-सीटी स्कैन ( पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी) स्वास्थ्य सुविधा का कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने गुरुवार को औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पैट-सीटी स्कैन के लिए रोगियों को अब उत्तराखंड से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हिमालयन अस्पताल और कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआई) में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब संस्थान के कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में पैट-स्कैन स्वास्थ्य सुविधा शुरू की गई है। कुलपति डॉ.धस्माना ने कहा कि देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही पैट-स्कैन की स्वास्थ्य सुविधा है। अब तक रोगियों को पैट-स्कैन के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ जाना पड़ता था।
इस दौरान सीआरआई निदेशक डॉ. सुनील सैनी, डॉ. प्रकाश केशवया, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी, डीन डॉ. मुश्ताक अहमद, डॉ.विनीत महरोत्रा, डॉ. सौम्या कुमारी औरनिशा भाटिया आदि मौजूद रहे।
पैट-स्कैन टेस्ट क्या है?
सीटी स्कैन मानव शरीर की आंतरिक तस्वीर लेती है, जबकि पैट-स्कैन शरीर में इंजेक्ट किए गए रेडियो एक्टिव पदार्थ की इमेजिंग करती है। इन दोनों इमेज को एक साथ मिलाकर मरीज के शरीर की असली तस्वीर मिलती है। इससे किसी भी अंग में पनप रहे या फिर फैल चुके कैंसर का पता लग जाता है।
पैट-सीटी स्कैन क्यों कराया जाता है ?
-पैट-स्कैन शरीर के भीतर असामान्य वृद्धि के कारकों का पता लगाने का सबसे कारगर तकनीक है।
-पैट-स्कैन चिकित्सकों को कैंसर के लिए सबसे बेहतर इलाज का चयन करने में मदद करता है।
-पैट-स्कैन से यह भी पता चलता है कि मरीज के उपचार की विधि कितने अच्छे से काम कर रही है।
-पैट-स्कैन यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि क्या ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है या नहीं।
-पैट-स्कैन का इस्तेमाल यह देखने के लिए भी किया जाता है कि कैंसर कितना गंभीर है और क्या यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल गया है।