24 C
Dehradun
Wednesday, September 10, 2025
Advertisement
spot_img

आज छठ व्रतीयों ने मनाया खरना

  • आज है खरना, छठ पूजा में खरना का होता है खास महत्व
  • साफ-सफाई पर दें ध्यान
  • यहां जानें खरना में प्रसाद ग्रहण करने का नियम
  • भोजन ग्रहण करते हैं.खरना पर बनती है रसिया (खीर)

देहरादून, 19 नवम्बर कार्तिक माह की शुक्लपक्ष पंचमी को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं. शाम को गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है. इस विधि को खरना कहा जाता है. छठ पर्व का दूसरा दिन खरना का होता है. खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है. जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है. इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है. यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है. इसकी पूर्णता अगले दिन होती है। खरना या लोहंडा के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं. सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें.
ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
सभा के सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि खरना पर प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. जब खरना पर व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी लोग बिल्कुल शांत रहते हैं. चूंकि मान्यता के अनुसार, शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. साथ ही व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो उसके बाद ही परिवार के अन्य लोग

छठ व्रत कर रही व्रती श्वेता सिन्हा ने बताया कि यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है. छठ पर्व का आज तिसरा दिन है। जिस तरह से छठ के पहले दिन नहाय.खाय का महत्व होता है। उसी तरह छठ के दूसरे दिन खरना का महत्व होता है। खरना कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर होता है। छठ पर्व में खरना के दिन व्रत किया जाता है और व्रती अपने कुल देवता और छठी माई की आराधना करते हैं।

व्रत करने वाले रितेश कुमार ने कहा कि खरना के दिन रसिया का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद गुड़ से बनाया जाता है. इस प्रसाद को हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है और इसमें आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. खरना वाले दिन पूरियां और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है.

व्रत कर रहे परिवार के सदस्य आलोक सिन्हा ने बताया कि खरना के दिन में व्रत रखा जाता है और रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रती छठ पूजा की पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं. इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!