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Monday, December 23, 2024

बाहुबली विकास दुबे के गांव बिकरू में 25 साल बाद लौटा लोकतंत्र, निष्पक्ष मतदान से मधु बनी ग्राम प्रधान

लखनऊ/ कानपूर 2 मई,  देश दुनिया में विकास दुबे के नाम से चर्चित हुए बिकरू गांव को आखिर चुनाव से अपना नया निष्पक्ष चुनाव में जीता हुआ प्रधान मिल ही गया। 25 साल बाद चुनाव में हुए मतदान में गणना के बाद मधु ने जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया है। यहां मधु और प्रतिद्वंद्वी बिंदु कुमार के बीच कांटे की टक्कर रही। कड़े मुकाबले के बाद मधु ने जीत दर्ज की है। उनकी जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल है। यहां दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे, जबकि मधु और बिंद कुमार के बीच टक्कर मानी जा रही थी। कड़े मुकाबले के बीच मधु ने 381 वोट हासिल किए हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बिंद कुमार को 327 वोट मिले हैं।

बताते चलें कि 25 साल पहले वर्ष 1995 में विकास दुबे यहां का प्रधान बना था। जिसके बाद से वहां पर निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सका. विकास दुबे जिसे चाहता था वहीं चुनाव जीता था। विकास दुबे बिकरू ही नहीं आसपास के इलाके में निर्विरोध प्रधान का चुनाव करा देता था। पिछली बार उसके भाई की पत्नी अंजली दुबे बिकरू से ग्राम प्रधान थी। जबकि उसकी पत्नी रिचा दुबे घिमऊ से क्षेत्र जिला पंचायत सदस्य थी। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद इस बार 25 साल बाद निष्पक्ष मतदान के जरिए प्रधान का चुनाव कराया गया। बिकरू ग्राम पंचायत से मधु ने जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बिंदु कुमार को 54 वोटों से हराया. बिकरू गांव पिछले साल तब सुर्खियों में आया जब वहां दुर्दांत विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिस एनकाउंटर में विकास दुबे और उसके 5 साथी ढेर हो गए थे।

बिकरु ग्राम पंचायत के 25 साल की अगर बात करें  वर्ष 1995 में विकास दुबे प्रधान हुआ था, वह निर्विरोध जीता था। वर्ष 2000 में उसने अनुसूचित जाति की सीट होने पर गायत्री को निर्विरोध प्रधान बनवाया था। वर्ष 2005 में सीट सामान्य हुई तो फिर अपने भाई दीपू की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान बनाया। वर्ष 2010 में ये सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो उसने निर्विरोध अपने खास शागिर्द रजनीकांत को प्रधान बनाया। वर्ष 2015 में ये सीट फिर सामान्य हुई तो उसने एक बार फिर भाई दीपू की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान बनवाया था। बिकरू गांव में हुए आठ पुलिसकर्मियों की हत्याकांड के बाद विकास दुबे और उसके पांच साथी पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो गए। विकास के बाकी गुर्गे जेल में सलाखों के पीछे हैं। ऐसे में इस समय 25 वर्षों में पहली बार बिकरू और आसपास के गांवो में पंचायत चुनाव में लोगों ने बेख़ौफ़ होकर चुनाव में भाग लिया था। प्रधान पर पर विजयी हुई मधु का कहना है कि विकास दुबे के जिंदा रहते यहां चुनाव लड़ना नामुमकिन था, विकास दुबे पहले ही प्रधान तय कर देते थे और सब लोग उनके खौफ से उनकी बात का विरोध नहीं कर पाते थे।

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