नई दिल्ली/ नोएडा 29 अप्रैल, आज गुरुवार को देश के जाने माने कवि कुंवर बेचैन का गुरुवार को कोरोना से निधन हो गया। उनका नोएडा के कैलाश अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। उनके निधन की जानकारी मशहूर कवि डॉ कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लोगों को दी। उन्होंने लिखा कि कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुःखद समाचार मिला है। मेरे कक्षा-गुरु, मेरे शोध आचार्य, मेरे चाचाजी, हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुँअर बेचैन ने अभी कुछ मिनट पहले ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान किया। कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया।
मशहूर कवि डॉ. कुंवर बेचैन की 78 साल की उम्र में मौत हो गई। उन्होंने गुरुवार दोपहर नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली.पिछले करीब 2 हफ्ते से अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत धीरे-धीरे सुधर रही थी, लेकिन बुधवार रात को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। लेकिन आज गुरुवार दोपहर को उनका निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
मशहूर साहित्यकार एवं कवि कुंवर बेचैन मूल रूप से जिला मुरादाबाद के उमरी गांव के थे। उनकी शिक्षा चंदौसी के एसएम कॉलेज में हुई थी। कुंवर बेचैन ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कवितायें भी लिखीं, गजल, गीत और उपन्यास भी लिखे। बेचैन’ उनका तख़ल्लुस है असल में उनका पूरा नाम डॉ कुंवर बहादुर सक्सेना है। उनकी अनेक रचनाये जैसे पिन बहुत सारे, भीतर साँकलः बाहर साँकल, उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख, शामियाने काँच के, पत्थर की बाँसुरी, दीवारों पर दस्तक, नदी तुम रुक क्यों गई आदि हैं।