देहरादून 5 अप्रैल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने छत्तीसगढ़ के बीजपुर में शनिवार को हुए नक्सली हमले की कठोर निन्दा करते हुए इस हमले का सामना करने वाले सुरक्षा बलों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी देश की रक्षा के लिए शहीद हुए वीर सपूतों की शहादत को नमन करती है तथा राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ लडाई के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों हेतु पूर्ण सहयोग का आश्वासन देती है।
प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना के माध्यम से जारी बयान में कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार इस प्रकार के नक्सली हमलों में सुरक्षा बल के सैकडों जवानों ने अपनी शहादत दी है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीमापार से लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देकर देश के निर्दोश नागरिकों की हत्या की जा रही है वहीं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के जवानों पर एक के बाद एक आतंकी हमले किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार आतंकवाद तथा नक्सलवाद से निपटने तथा आम नागरिकों को सुरक्षा और उनके सम्मान की रक्षा करने में पूर्णतः विफल साबित हुई है। ऐसी नक्सलवादी घटनायें देश की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह हैं।
प्रीतम ने कहा कि 8 नवम्बर 2016 को अचानक की गई नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि देश में नक्सली हमले रुक जाएंगे, देश में 500 और 1000 के नोट बंद हो जाने के बाद से नक्सलियों की कमर टूट जाएगी। परन्तु नोटबंदी के बाद नक्सलियों ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। नक्सलवाद पर लगाम लगती नहीं दिख रही है. 2016 में नोटबंदी के दौरान भी सरकार के पास इस बात के आंकड़े नहीं थे कि नक्सलियों को कितनी फंडिंग होती है. नोटबंदी के दो वर्ष बाद भी सरकार के पास इस बात के आंकड़े नहीं हैं कि नक्सलियों को कितनी फंडिंग होती थी और अब उसमें कितनी गिरावट आई है. लेकिन नक्सली हमलों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि नोटबंदी का नक्सलियों पर कोई असर नहीं पड़ा। विगत वर्ष 20 मई को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सात जवान शहीद हो गए थे. उससे पहले 13 मार्च 2018 को छत्तीसगढ़ के ही सुकमा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे. इससे पहले 24 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के सुकमा में ही 24 सीआरपीएफ के जवान तथा 12 मार्च 2017 को सुकमा में ही सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए और अब 3 अप्रैल 2021 को 22 जवानों को अपनी शहादत देनी पडी है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हमले की घटनायें लगातार बढती जा रही हैं तथा इन घटनाओं में देश के रणबाकुरों को शहीद होना पड़ रहा है ऐसे में सारे देश की निगाहें आज त्वरित कार्रवाई पर टिकी हैं। उन्होंने सुरक्षा बलों पर हुए इस हमले की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए केन्द्र सरकार से मांग की कि सेना तथा अर्द्धसैनिक बलों की सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति पर कार्य किया जाय।