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Friday, December 12, 2025


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धराली आपदा को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर : गोदियाल

देहरादून। विगत दिवस उत्तराखण्ड़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व अध्यक्ष एवं सीडब्लूसी सदस्य करन माहरा के सयुक्त नेतृत्व में उत्तराखण्ड कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने धराली जा कर वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया और पाया कि धराली को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। जिसको लेकर आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन देहरादून में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व अध्यक्ष, सीडब्लूसी सदस्य करन माहरा ने संयुक्त रुप से प्रेस वार्ता को सम्बांेधित कर धराली का आंखों देखा हाल विस्तृत तौर से सांझा किया। गोदियाल ने कहा कि सरकार द्वारा मृत लोगों की संख्या जो बताई जा रही है वह विरोधाभासी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने धराली आपदा को लेकर 67 लोगों को मृत या गुमशूदा बताया सरकार में दायित्वधारी मंत्री कर्नल कोठियाल ने 147 के मलवे में दबे होने का बयान दिया और अब राज्य सरकार की ओर से जो सफाई आई है उसमें 52 लोग गायब या मृत बताए जा रहे है। गोदियाल ने कहा कि सरकार इस विरोधाभास को दूर करे और प्रदेश की जनता विपक्ष और मीडिया के समक्ष सच लाए, क्योकि आपदा राहत और बचाव ये कोई मजाक या राजनीति करने के मुद्दे नही ब्लकि मानवीय आधार है। गोदियाल ने बताया कि उत्तराखण्ड कांग्रेस की फैक्ट फाईडिंग टीम (प्रतिनिधि मण्डल ) ने पाया कि आपदा को चार माह बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा ना तो धराली में पुनर्वासए पुनर्निर्माणए राहत , विस्थापन इत्यादि जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए कोई कारगर कदम नही उठाया गया है, किसी भी क्षेत्र में कोई पहल नही कि गई है। गोदियाल ने कहा कि सरकार के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं। धराली की वास्तविक स्थिति बेहद भयावह है स्थानिय आपदा प्रभावितों के अनुसार 250 नाली नाप की जमीन सम्पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। धराली में 112 आवासीय मकान व लगभग 70 होटलदृरिसॉर्टदृहोमस्टे प्रभावित हुए हैंए जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार धराली में केवल कुछ ही लोगों को मुआवजा दिया गया है। प्रत्यक्ष दर्शीयों के अनुसार स्थानीय लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैंए शवों को निकालने तक के उचित प्रयास नहीं किए गए। राहत कार्य शून्य है। किसी तरह कि कोई गतिविधि नही देखी गई। कोई फोर्स नही, कोई प्रशासनिक इकाई नही, कोई सुध लेने वाला नही। गोदियाल ने कहा कि धराली में आपदा पीडित एक महिला ने मानसिक दबाव में आत्महत्या कर ली है। बाजार पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। वहां होने वाले उत्पाद सेब राजमा आलू की देश और दुनिया में डिमांड है लेकिन बाजार के आभाव में उनके उत्पादों का वीपणन नही हो पा रहा है। उनके अनुसार 112 लोगों को 05 -05 लाख की सहायता की गई है। लेकिन उसमें भी 38 लोगों को यह की कर छोड दिया गया है कि आपके मकान पूरी तरह से नष्ट नही हुए है। जबकि सच्चाई यह है कि जो मकान वहा खडे भी है वो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए है और उनकी निचली मंजिल मलवे में दब गई है। सरकारी सहायता के आभाव में मजदूर लगा कर वो लोग स्वयं अपने खर्चे पर मलवे को हटाने का काम करवाने को मजबूर है। सीमांत क्षेत्र होने के बावजूद सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इलाका आज पूरी तरह से उपेक्षित किया जा रहा है। सरकार की घोर लापरवाही देखी जा रही है। सरकारी मदद के अभाव में आपदा पीडित खुद अपने खर्च पर अपना सामान मलबे से निकालने को मजबूर हो रहे है। आज भी लोगों को सरकार की सहायता नहीं मिल रही। विपक्ष के वहां पहुंचने और कही विपक्ष वहां की बदहाली लाइव न दिखा दे इस डर से धराली में जैमर लगा कर नेटवर्क बाधित कर दिया गया। प्रशासन गायब और जनता अपनी जरूरतों के लिए खुद संघर्ष करने को मजबूर हो रही है। मुखबा के ग्रामीणों की पीड़ा इतनी गहरी है कि उन्होंने पूरे पंचायत चुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया। वह मुखबा जहां आपदा से कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्घाम तापोंश् योजना की घोषणा की थी। यह बहिष्कार भाजपा सरकार से उनकी नाराज़गी का सबसे बड़ा प्रमाण है। पर्यटन की रीढ़ टूट चुकी है ग्रामीणों ने बताया कि व्यवसायिक भवनों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। स्वच्छ पीने का पानी नही है। वहा के स्थानिय लोग 2013 की केदारनाथ आपदा का उदाहरण देते हुए वर्तमान राज्य सरकार से उसी तरह के पूर्नवास पूर्ननिर्माण और विस्थापन की अपेक्षा कर रहे है।उनका कहना था कि केदारनाथ देवीय आपदा के दौरान जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और भीषण आपदा आई थी हजारों लोग काल कल्वित हुए थेए तब कांग्रेस की सरकार ने नुकसान के श्स्वदृआंकलन ध् स्व-निर्धारणश् की व्यवस्था बनाई थी जिसमें व्यवसाईयों ने राज्य सरकार को एफिडेविट बना कर दिया कि उनका कितना नुकसान हुआ है इस आधार पर सरकार ने मुआवजा तय किया था। केदार दैवीय आपदा का मॉडल यहां क्यों नहीं अपनाया जा सकताघ् जबकि धराली में तो मृतको की संख्या और प्रभावितों की संख्या केदारनाथ आपदा की तुलना में कम है। गेदियाल ने राज्य सरकार को कटघरे में खडा करते हुए पूछा कि अगर केदारनाथ में मालिकों के स्वदृआंकलन को स्वीकार कर मुआवजा दिया गया थाए तो धराली में यह व्यवस्था क्यों लागू नहीं की जा सकती ?
सरकार के पास आपदा प्रबंधन के तहत ऐसा कोई नियम नहीं है तो फिर नियम बनाया जा सकता है। स्पष्ट है सरकार अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ रही है।
गेदियाल ने कहा कि कांग्रेस राज्य सरकार से मांग करती है कि धराली के सम्पूर्ण पुनर्वास का विशेष पैकेज घोषित किया जाए। यदि धराली सुरक्षित नही है तो विस्थापन किया जाए और यदि सुरक्षित है तो फिर धराली का मूल स्वरुप लौटाया जाए। न्यूनतम मुआवजा 50 लाख किया जाए। आवासीय पुनर्वास के साथदृसाथ व्यावसायिक पुनर्वास अनिवार्य पुनर्निर्माण की ठोस योजना बनाई जाए। केदानाथ आपदा की तर्ज पर स्थानिय आपदा पीडितो द्वारा स्वदृआंकलन मॉडल लागू कर तत्काल भुगतान किया जाए। लापता लोगों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान की जाएए व्यवस्थित विस्थापन किया जाए शिक्षाए स्वास्थ्यए सड़क और संचारकृसब कुछ ठप है उसे ठीक किया जाए।
श्घाम तापोंश् योजना की घोषणा की याद दिलाते हुए कांग्रेस ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री द्वारा मुखबा से की गई बड़ी घोषणाएँ आज सिर्फ कागज़ों मेंए धरातल पर शून्य। गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस के प्रतिनिधि मण्डल ने जो वहॉ की स्थति का आकलन किया है उसकी विस्तृत रिर्पाेट लेकर उत्तराखण्ड कांग्रेस शीघ्र महामहिम राज्यपाल से मुलाकात कर राहत कार्याे में प्रगति का निवेदन करेगी। पूर्व अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि मै 08 अगस्त 2025 को धराली में आई हुइ आपदा को स्वयं देखने पहुचा था परन्तु ठीक चार महिने बाद भी स्थतियां जस की तस है। सेब के कास्तकारों को मुआवजा नही मिला है। स्थानीय लोगों के पास आजीविका के कोई साधन नही है उन्हे अपना और अपने परिवार का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि धराली की आवाज़ को अनसुना न करें।माहरा ने कहा कि गायब लोगों की यदि मिलने की सम्भावना नही है तो उन्हे मृत घोषित किया जाए ताकि उनके परिजनों को राहत राशि मिल सके। सरकार के झूठे दावे और जमीन पर शून्य काम अब और बर्दाश्त नहीं। करन माहरा ने कहा कि जिस 1200 करोड के आपदा राहत पैकेज कि घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की थी आजतक एक भी पैसा केन्द्र से अवमुक्त नही हुआ है और राज्य सरकार उसके लिए कोई प्रयास तक नही कर रही है। कांग्रेस हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और तब तक संघर्ष करेगी जब तक धराली दोबारा अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए। प्रेसवार्ता के दौरान गरिमा मेहरा दसौनी मौजूद रही।

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