देहरादून 28 सितम्बर। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं। रावण, मेघनाद, कुभंकरण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं। इस बार 2 अक्टूबर गुरुवार के दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। इस दिन रावण दहन के अलावा शस्त्र पूजन का विधान है।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हर साल दशहरा का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। दशहरे को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन भी भगवान राम से दशानन रावण पर विजय प्राप्त की थी। परंपराओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का अंत कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। तभी से इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन जगह जगह किया जाता हैं। साथ ही, यह पर्व मां दुर्गा और महिषासुर के युद्ध की भी याद दिलाता है, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन कई शुभ योग और ग्रह स्थिति बन रहे हैं, जो इस अवसर की महत्ता को और बढ़ा देते हैं। लोग इस दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार रावण दहन करते हैं और अपने घर तथा जीवन में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा की कामना करते हैं।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की ज्योतिष पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 की शाम 7:02 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर की शाम 7:10 बजे समाप्त होगी। इसलिए रावण दहन और दशहरा उत्सव 2 अक्टूबर को ही पूरे देश में मनाया जाएगा। दशहरा पर रावण दहन का समय सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल में होता है। इस साल सूर्यास्त 6:05 बजे है, और इसके तुरंत बाद रावण दहन किया जाएगा। यह समय बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस अवसर पर रावण के पुतले का दहन करना बेहद शुभ माना गया है। इस साल दशहरा वाले दिन पूरा दिन रवि योग रहेगा, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। रात 12:34 बजे से 11:28 बजे तक सुकर्म योग और उसके बाद धृति योग का प्रभाव रहेगा। दशहरा तिथि को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, इसलिए इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त देखे शुभ कार्य, जैसे व्यापार की शुरुआत, प्रॉपर्टी या वाहन खरीदना आदि, किया जा सकता है।
दशहरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत व्यापक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और धर्म की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। पूर्वी भारत में दशहरा दुर्गा पूजा और दुर्गा विसर्जन के रूप में मनाया जाता है। यहां यह पर्व माता दुर्गा के महिषासुर वध और उसके विजयी स्वरूप का उत्सव होता है। पूरे नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में दुर्गा की पूजा, विशेष आराधना और विधिवत अनुष्ठान किए जाते हैं, और अंत में विसर्जन के समय नदी या तालाब में देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। वहीं उत्तर भारत में दशहरा रामलीला और रावण दहन के रूप में प्रमुखता से मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराने की कथा को याद किया जाता है। शहर-शहर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामूहिक रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और लोगों में नैतिक मूल्यों, साहस और सामूहिक सद्भावना को बढ़ावा देता है। इस प्रकार दशहरा न केवल धार्मिक आस्था का उत्सव है, बल्कि संस्कृति और परंपराओं के माध्यम से जीवन में नैतिकता और सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला त्योहार भी है।




