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Tuesday, February 4, 2025

राष्ट्रीय खेलों में मैच फिक्सिंग ने लगा दिया उत्तराखंड की छवि को बट्टा

देहरादून 4 फरवरी। उत्तराखंड 38वें राष्ट्रीय खेलों में फिक्सिंग का बड़ा मामला सामने आया है जिसको लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सरकार को खारी खोटी सुनाई है। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि आज जिस तरह का हाल राष्ट्रीय खेलो में दिख  रहा है वह न सिर्फ राष्ट्रीय खेलों पर बल्कि खिलाड़ियों के भविष्य पर भी खतरा है।गरिमा ने कहा कि ताइक्वांडो में गोल्ड मेडल 3 लाख में बेचा जा रहा था, जिस पर इंडियन ओलंपिक्स एसोसिएशन ने  सख्त एक्शन लिया तो है परंतु इससे राष्ट्रीय खेलों पर और उसकी पारदर्शिता पर कई सवाल उठते हैं। दसोनी ने कहा कि खिलाड़ी बहुत मेहनत मशक्कत करके राष्ट्रीय खेलों तक पहुंच पाते हैं, उत्कृष्ट प्रदर्शन और मेडल पाने के लिए वह जी जान लगा देते हैं,परंतु जिस तरह से ताइक्वांडो प्रतियोगिता में मेडल बेचे जाने और मैच फिक्सिंग के आरोप लगे हैं वह बहुत गंभीर है।दसौनी ने कहा कि आईओए की गेम टेक्निकल कंडक्ट कमेटी ने इस मामले में ताइक्वांडो के डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन प्रवीण कुमार को हटाने का फैसला तो लिया है पर जो नुकसान राष्ट्रीय खेलों और उत्तराखंड राज्य की छवि को पहुंचा है वह बहुत गहरा है. गरिमा ने बताया कि यह मामला खेलों के शुरू होने से ठीक पहले उजागर हुआ, जिसके चलते प्रवीण कुमार को उनके पद से हटाकर दिनेश कुमार को नया डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन नियुक्त किया गया है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने इसको लेकर प्रवीण कुमार की कड़ी निंदा की है। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों में ताइक्वांडो प्रतियोगिता हल्द्वानी में आयोजित हो रही है, लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही मैच फिक्सिंग और मेडल की खरीद-फरोख्त के आरोप सामने आए। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की गेम टेक्निकल कंडक्ट कमेटी समिति ने इस मामले की जांच की और पाया कि कुछ अधिकारी पहले से ही मेडल के नतीजे तय करने में शामिल थे। गोल्ड मेडल के लिए 3 लाख रुपये, सिल्वर मेडल के लिए 2 लाख रुपये और ब्रॉन्ज मेडल के लिए 1 लाख रुपये की मांग की जा रही थी। दसौनी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों की अखंडता बनाए रखना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह भी सामने आया कि उन्होंने खेलों के स्वयंसेवकों के चयन में हेरफेर किया था और कुछ राज्य संघों के पदाधिकारियों तथा उपकरण विक्रेताओं को अनुचित रूप से नामित किया था। भारतीय ओलंपिक संघ  की अध्यक्ष पीटी उषा ने भी इस मामले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “हम सभी खिलाड़ियों के लिए निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बेहद चौंकाने वाला और दुखद है कि राष्ट्रीय खेलों के मेडल्स की सौदेबाजी पहले ही की जा रही थी। इंडियन ओलिंपिक संघ किसी भी तरह की हेरफेर या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा और जो भी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”गरिमा ने कहा कि पीटी उषा के इस बयान के बाद भी क्या उत्तराखंड की खेल मंत्री डिनायल मोड पर रहेगी और जिस तरह से उन्होंने अल्मोड़ा अस्पताल में भर्ती किए गए खिलाड़ियों की संख्या से इनकार किया, क्या अभी भी  खेल मंत्री रेखा आर्य यही कहेंगी कि राष्ट्रीय खेलों की व्यवस्था चाक चौबंद है और कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा। क्योंकि जांच में यह भी सामने आया कि भारतीय ताइक्वांडो महासंघ के कुछ अधिकारी 16 भार वर्गों में से 10 में पहले ही नतीजे तय कर चुके थे ,यानी इन मुकाबलों में खिलाड़ियों की मेहनत से ज्यादा पैसे का असर पड़ रहा था। इंडियन ओलिंपिक संघ के मुताबिक, ताइक्वांडो की कुल 16 क्योरूगी और 10 पूमसे प्रतियोगिताएं 4 से 8 फरवरी तक हल्द्वानी में होनी हैं। लेकिन इन प्रतियोगिताओं के नतीजे पहले ही तय कर दिए गए थे, जिससे पूरे आयोजन की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे। गरीमा ने कहा कि क्या गारंटी है कि जो ताइक्वांडो के साथ हुआ वह बाकी खेलों के साथ नहीं हो रहा होगा??दसौनी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है। राष्ट्रीय खेलों को देश के सबसे बड़े खेल आयोजन के रूप में देखा जाता है, जहां से कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने जाते हैं। लेकिन इस तरह की फिक्सिंग और भ्रष्टाचार की घटनाएं भारत में खेलों की साख पर बट्टा लगाती हैं। उत्तराखंड में घटित इस घोटाले ने भारतीय खेलों की साख को गहरा धक्का पहुंचाया है।

 

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