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Wednesday, September 10, 2025
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विशेषज्ञ चिकित्सक मिलने से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को मिली राहत

देहरादून, 19 नवम्बर। प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की लगातार नियुक्तियां की जा रही है। इसी कड़ी में सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा में तीन और विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती को राज्य सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। कम्युनिटी मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक्स व एनेस्थिसियोलॉजी विभाग में नई फैकल्टी मिलने से जहां मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी दूर होगी वहीं मेडिकल छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी सुचारू होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों की कमी को दूर करने के लिये राज्य सरकार ने संविदा के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। जिसके तहत मेडिकल कॉलेज में विभिन्न संकायों में कई विशेषज्ञ चिकित्सकों को नियुक्ति दी जा चुकी है। इसी क्रम में सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा में तीन संकाय सदस्यों की तैनाती की मंजूरी राज्य सरकार ने दी है। जिसमें कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद डॉ. कुम्भा गोपी, ऑर्थोपेडिक्स विभाग में डॉ0 नितिन कुमार तथा एनेस्थिसियोलॉजी विभाग में डॉ. रोहित तिवारी शामिल हैं। इन सभी चयनित विशेषज्ञ चिकित्सकों का चयन हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित साक्षात्कार कमेटी द्वारा वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से किया है। जिन्हें संविदा के आधार पर मेडिकल कॉलेज में आगामी तीन वर्ष अथवा उक्त पदों पर नियमित नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो के लिये नियुक्त किया गया है। कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति से शैक्षणिक गतिविधियों में व्यापक सुधार आयेगा साथ ही मरीजों को भी बेतहर उपचार मिलेगा। राज्य सरकार का मकसद सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शत-प्रतिशत मेडिकल फैकल्टी नियुक्त करना है, इसके लिये विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार ने कहा की राज्य सरकार प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शत-प्रतिशत मेडिकल फैकल्टी की तैनाती के लिये निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में विभिन्न संकायों में फैकल्टी की नियुक्ति कर दी गई है। जिससे कॉलेज में संकाय सदस्यों की कमी को दूर किया गया है। यह कदम प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को सुदृढ़ बनाने और छात्रों को बेहतर शिक्षा व प्रशिक्षण प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा।

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