देहरादून 5 अगस्त, केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में आज सर्वो हॉस्पिटैलिटी स्कूल देहरादून के जाने-माने हैड शेफ द्वारा हैंडस ओनसेशन वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत कार्यक्रम मनाया गया। जिसमें शेफ रुचिता, विनय मालकोटि द्वारा डेमो दिया गया। उन्होंने बाजरे से बनने वाले कई सारे व्यंजन बनाकर बच्चों को जंक फूड से से बचने के तरीके बताएं एवं उनका महत्व बताया। शालिनी मेहता, सीनियर बिजनेस कन्सलटेन्ट ने स्लाइड शो द्वारा बच्चों को मिलेट्स के उत्पादन एवं गुणवत्ता की विशेष जानकारी दी।
बताते चलें कि मोटे अनाज से तात्पर्य गेहूं और चावल के अलावा अन्य अनाज से है या जो मुख्य रूप से पशु चारे या शराब बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। ये अनाज गर्म मौसम के अनाज हैं जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनके भोजन, चारे और चारे के उपयोग के लिए मूल्यवान हैं। ये बड़े पैमाने पर एशिया और अफ्रीका के अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वर्षा आधारित कृषि प्रणालियों के तहत उगाए जाते हैं, जिसमें कम बाहरी इनपुट होते हैं और अनाज की उपज का स्तर कम होता है। मोटे अनाजों में मक्का, ज्वा, जई,, जौ, मोती बाजरा आदि शामिल हैं। वे आहार ऊर्जा, विटामिन, कई खनिजों जैसे विशेष रूप से लौह और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व, एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ अघुलनशील आहार और फाइटोकेमिकल्स से समृद्ध हैं। फिंगर बाजरा कैल्शियम का सबसे समृद्ध स्रोत है। छोटे बाजरे फास्फोरस और आयरन का अच्छा स्रोत हैं। इन पोषण गुणों को देखते हुए इन मोटे अनाजों को हाल ही में पोषक अनाज के रूप में भी नामित किया गया है। वे ऐसे यौगिकों से समृद्ध हैं जो कई पुरानी बीमारियों जैसे इस्केमिक स्ट्रोक, हृदय रोग, कैंसर, मोटापा और टाइप II मधुमेह आदि से लड़ने में मदद करते हैं।
इस कार्यक्रम में लगभग ढाई सौ बच्चों ने अपनी भागीदारी दी एवं ज्ञान अर्जन किया। विद्यालय की प्राचार्य बसंती खपा ने इस अवसर पर सभी बच्चों को मिलेट्स के गुणों के बारे में विशेष जानकारी देते हुए जंक फूड से पनपने वाली गंभीर बीमारियों से बचने पर विशेष जोर दिया तथा मिलेट्स को अपने भोजन में शामिल करने के लिए आवाहन किया। इस कार्यक्रम में वीके सिंह, सीमा श्रीवास्तव, गुंजन, मिस्टर मीणा, उर्मिला बमब्रो आदि मौजूद रहे।