देहादून 20 अप्रैल, रायपुर पुलिस ने PAYTM (पेटीएम) के माध्यम से ठगी करने वाले अर्न्तराज्जीय गिरोह का किया पर्दाफाश, गिरोह के सदस्यो ने विगत एक माह में विभिन्न राज्यों में 8 घटनाओं को अंजाम देते हुए की गयी थी छह लाख पचास हजार रुपये रुपये की ठगी। पुनः घटना को अंजाम देने पहुचे थे देहरादून, अभियुक्तों के कब्जे से 9 मोबाईल फोन 3 सिम कार्ड, 27 PAYTM कार्ड, 60 PAYTM स्कैनर पेज, 81 नेशन एक्सप्रेस कम्पनी के कार्ड, घटना में प्रयुक्त स्कूटी की बरामद, तीन बैक खाते किये गये सीज।
बीती 12 अप्रैल को वादी देव पाल सजवान पुत्र कृपाल सिंह निवासी नियर प्राथमिक विद्यालय सुंदरवाला रायपुर देहरादून के द्वारा एक प्रार्थना पत्र स्वंय के साथ अज्ञात व्यक्तियो द्वारा पेटीएम स्कैनर ठीक कराने के नाम पर वादी के मोबाईल का पेटीएम ऐप हैक कर वादी के खाते से 1 लाख 40 हजार रूपये विभिन्न खातो में भेजकर ठगी किये जाने के संबंध में थाना रायपुर पर दिया गया, जिस पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच एसआई रविन्द्र सिंह नेगी के सुपुर्द की गयी।
उक्त घटना की गंभीरता के दृष्टिगत डीआईजी/एसएसपी देहरादून दिलीप सिंह कुंवर द्वारा उक्त घटना का शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। जिसके क्रम में एसपी क्राइम, एसपी सिटी के मार्गदर्शन एंव सीओ रायपुर देहरादून के पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष रायपुर के नेतृत्व में घटना के अनावरण हेतु 3 अलग-अलग पुलिस टीमें गठित की गयी।
पुलिस टीम द्वारा की गई कार्यवाही में उपनिरीक्षक रविन्द्र नेगी के नेतृत्व में गठित प्रथम पुलिस टीम द्वारा घटनास्थल के आस-पास घटना से पूर्व व घटना के पश्चात् कुल 195 सीसीटीवी कैमरे को चैक किया गया, जिसमें घटना की तिथि को वादी की दुकान के आस पास दो संदिग्ध व्यक्ति घूमते हुये दिखाई दिये, जिनसे कुछ दूरी पर पेट्रोल पम्प के निकट एक संदिग्ध स्कूटी के साथ एक अन्य व्यक्ति खडा दिखाई दिया। घटना के पश्चात् उक्त दोनो व्यक्ति वादी की दुकान की तरफ से पेट्रोल पम्प की ओर आते दिखाई दिये, जो स्कूटी के साथ पूर्व से मौजूद व्यक्ति के साथ आईएसबीटी देहरादून पहुँचे, जहाँ एक व्यक्ति का आईएसबीटी देहरादून से बस में जाना तथा शेष दो व्यक्तियों का स्कूटी से सहारनपुर की ओर जाना प्रकाश में आया। जिस पर सहारनपुर रोड़ पर देवबंद टोल टैक्स के कैमरो को चैक किया गया तो वहाँ उक्त व्यक्तियों की स्कूटी का नम्बर ट्रेस हो गया, जो दिल्ली का होना पाया गया, जिसकी तस्दीक हेतु एसएसआई नवीन जोशी के नेतृत्व में गठित द्वितीय पुलिस टीम को दिल्ली रवाना किया गया। जिनके द्वारा उक्त स्कूटी के पते को तस्दीक किया गया तो उक्त स्कूटी अभियुक्त गौरव निवासी मंडोली दिल्ली के नाम पर पंजीकृत होना पाया गया तथा रजिस्ट्रेशन की डिटेल निकालने पर एक मोबाईल नंबर प्रकाश में आया। उक्त मोबाईल नम्बर का घटना के दिन घटनास्थल के आस पास होना पाया गया। जिस पर पुलिस टीम द्वारा सूचना तंत्र को सक्रिय करते हुए अभियुक्तों के सम्बन्ध में गोपनीय रूप से जानकारी एकत्रित की गयी, इसी बीच पुलिस टीम को जानकारी प्राप्त हुई कि घटना में सलिप्त अभियुक्त पुन: किसी घटना को अंजाम देने वापस देहरादून आने वाले हैं। जिस पर पूर्व में गठित तीनो पुलिस टीमो द्वारा दिल्ली तथा हरिद्वार से देहरादून आने वाले अलग-अलग रास्तों पर अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी हेतु सघन चैकिंग की गयी तथा 19 अप्रैल को घटना में सम्मिलित तीनो अभियुक्तों गौरव, सुशील एंव हिमांशु को स्टेडियम तिराहा, थानो रोड़ से समय 7 बजे 9 मोबाईल फोन, 3 सिम कार्ड, 27 PAYTM कार्ड, 60 PAYTM स्कैनर पेज, 81 नेशन एक्सप्रेस कम्पनी के कार्ड, घटना में प्रयुक्त स्कूटी के साथ गिरफ्तार किया गया।
पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार अभियुक्त :- गौरव पुत्र रामानंद निवासी मकान नंबर 518 गली नंबर 12 मंडोली एक्सटेंशन थाना हर्ष विहार, दिल्ली उम्र 26 वर्ष, हिमांशु पुत्र तेजपाल निवासी 11/395 निवासी उपरोक्त, उम्र 23 वर्ष और सुशील कुमार पुत्र कालूराम निवासी बी 206 तेजराम गली मकान नंबर 1, सुभाष मोहल्ला गोंडा, थाना भजनपुर, दिल्ली उम्र 26 वर्ष ।
गिरफ्तार अभियुक्त से बरामद माल:- विभिन्न कम्पनियो के 9 मोबाईल फोन, 27 पेटीएम कार्ड, 60 पे टीएम स्कैनर पेज, 81 नेशन एक्सप्रेस कम्पनी के कार्ड, 3 फर्जी आईडी, नगद 35 सौ रुपये, 3 सिम कार्ड (जियो, एयरटेल व वीआई कम्पनी के), घटना में प्रयुक्त स्कूटी संख्या DL5S BR 9749 और तीन खाते फ्रीज, जिनमें लगभग 40 हजार रुपये है।
मार्गदर्शक अधिकारी:- एसपी क्राइम सर्वेश पवार, एसपी सिटी सरिता डोबाल, डीसी ढौड़ियाल सीओ रायपुर देहरादून।
अभियुक्त को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम:- एसएचऒ रायपुर कुंदन राम, एसएसआई नवीन जोशी, एसआई रविन्द्र सिंह नेगी, एसआई रमन बिष्ट, हेड कांस्टेबल दीप प्रकाश, कांस्टेबल सौरव बालिया, कांस्टेबल प्रमोद परमार, कांस्टेबल किरण कुमार (एसओजी)।
पुलिस द्वारा अभियुक्तों पूछताछ मे बताया कि हम तीनो आपस में दोस्त है। हम तीनो एक साथ नेशन एक्सप्रेस कम्पनी में काम करते थे, जो एक मार्केटिंग की कम्पनी है। जहाँ हमारी सैलरी बहुत कम थी। जिस कारण हमारे द्वारा उक्त कम्पनी की नौकरी छोड़कर अधिक पैसे कमाने के चक्कर में आँनलाईन, दुकानों में पेटीएम स्कैनर लगाने का काम सीखा और हमारे द्वारा अलग-अलग शहरों की दुकानों में जाकर नया पेटीएम स्कैनर लगाने एंव पेटीएम को ठीक करने के नाम पर दुकानदारो से ठगी की जाने लगी। हमारे द्वारा दुकानदारों से उनके मोबाईल फोन लिया जाता है, जिससे सिम निकालकर हमारे पास रखे मोबाईल में दुकानदार का सिम डालकर उक्त नम्बर से अपने मोबाईल फोन में पेटीएम रजिस्टर्ड किया जाता है तथा दुकानदार की पेटीएम की प्रोफाईल सेंटिग में जाकर मैनेज नोटिफिकेशन पर जाकर सभी नोटिफिकेशन का अर्लट बंद किया जाता है, जिसके बाद दुकानदार की सिम पुनः अपने मोबाइल फोन से निकालकर उनके मोबाईल फोन में डाल दिया जाता है। जिससे हमारे मोबाईल फोन पर दुकानदार की सिम से रजिस्टर्ड पेटीएम 48 घण्टे तक चलता रहता है, जिससे हम कहीं भी ट्रांजेक्शन कर देते है और दुकानदार को उसका पता बाद में चलता है। हम तीनो स्कूटी के माध्यम से दिल्ली से देहरादून आते है और घटना करने के बाद उसी स्कूटी से चले जाते है। हमारे द्वारा 6 अप्रैल को यहाँ लाडपुर में भी एक सब्जी वाले के साथ इसी तरह से फ़्रॉड जियोमी के मोबाइल फोन से किया था। हमारे द्वारा लाडपुर में सब्जी विक्रेता के पास जाकर स्वंय को पेटीएम कम्पनी का कर्मचारी बताकर पेटीएम ठीक करने के बहाने से उसका मोबाईल फोन व सिम लेकर करीब 1 लाख 40 हजार रुपये का फ़्रॉड किया गया। फ़्रॉड की धनराशी को हमारे द्वारा अपने रिश्तेदार, दोस्त एंव दिल्ली में सतीश नाम के व्यक्ति, जो कि जीटीवी अस्पताल नंदनगरी दिल्ली में काम करता है, उसके द्वारा बताये गये फर्जी खातो में डलवायी जाती है। जिससे कमीशन काट कर हमें पैसा नगद मिल जाता है। हमारी स्कूटी में रखे 35 सौ रुपये भी इसी घटना के है, हमारे द्वारा देहरादून में दो जगह, रुड़की-हरिद्वार में एक जगह तथा दिल्ली में 3 जगह व गाजियाबाद उप्र में 2 जगह इसी प्रकार का फ्राँड कर लगभग छह लाख पचास हजार रुपये की ठगी की गयी है। अभियुक्त गौरव के द्वारा बताया कि वह स्कूटी चलाता है, इस प्रकार के दुकानदारो को ढूढता है, जो की पेटीएम का बार कोड यूज करते है तथा दुकान के सामने लगाते है। उसके बाद अभियुक्त हिमांशु एंव सुशील दोनो दुकान पर जाते हैं, जहाँ सुशील दुकानदार को बातो में लगाकर पेटीएम की केवाईसी व पेटीएम को यूज करने पर कटने वाले पैसो के बारे में बात करता है और इसी बीच हिमांशु दुकानदार के मोबाईल का सिम निकालकर अपने मोबाइल फोन में लगाकर उसके पेटीएम का एक्सेस अपने फोन में ले लेता है, एंव दुकानदार के पेटीएम के नोटिफिकेशन बंद कर देता है, जिससे दुकानदार को पैसे ट्राँसफर होने का पता नहीं चल पाता है। जिसके बाद दुकानदार के मोबाइल फोन में उसका सिम लगाकर वहाँ से चले जाते है। हमारे मोबाइल फोन पर दुकानदार के पेटीएम का एक्सेस 48 घण्टे तक रहता है, इस बीच हम दुकानदार के एकाउंट से पैसे अन्य फर्जी खातो में डालकर उससे निकाल लेते है। आज पुनः हम तीनों घटना को अंजाम देहरादून आये थे पर उससे पूर्व ही पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया।