कवि अजेय जुगरान की ‘अंतरंग सतरंग’ में संग्रहित कविताएँ उन्हीं की अनुभूतियों का संकलन है। यह पुस्तक पारिवारिक जीवन की जटिलताओं और सुंदरता को उजागर करने वाली कविताओं का संग्रह है। हँसी और प्यार से लेकर संघर्ष और दिल के दर्द तक, ये कविताएँ परिवार के ताने-बाने को बनाने वाले विविध अनुभवों की झलक पेश करती हैं। कवि के शब्दों के माध्यम से, हमें उन गहरे संबंधों पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया जाता है जो हमें अपने प्रियजनों और उन यादों से जोड़ते हैं जो हमारे जीवन को आकार देती हैं। चाहे आप पुत्र हों, पुत्री हों, माता हों, पिता हों, भाई-बहन हों या परिवार का कोई अन्य सदस्य, आपको इन पृष्ठों में अपना एक अंश मिलेगा। तो आइए, और कवि की परिवारिक अनुभव पर ये कविताएं आपको उतार-चढ़ाव, खुशियों और दुखों और उन अटूट बंधनों की यात्रा पर ले जाती हैं। संपादक प्रवीण डंडरियाल
कवि और कहानीकार अजेय जुगरान का संक्षिप्त परिचय
देहरादून में जन्मे अजेय जुगरान व्यवसाय से वकील लेकिन हृदय से एक कवि और कहानीकार हैं। हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू (देवनागरी लिपि) में लिखते हैं। 2021 दिसंबर में इनका प्रथम कविता संग्रह “अंतरंग सतरंग” प्रकाशित हुआ।
”अंतरंग सतरंग” पर कुछ लेखक और साहित्यिक आलोचकों की समीक्षायें
कई पुस्तकों के लेखक और साहित्यिक आलोचक एनसीईआरटी के वरिष्ठ हिंदी प्रोफेसर लालचंद राम ने “अंतरंग सतरंग” पर अपनी विस्तृत समीक्षा में लिखा है –
“कवि अजेय जुगरान को कविता लिखने के लिए किसी प्रशिक्षण की जरूरत नहीं पड़ी और न ही प्रशिक्षण से कविता लिखना संभव होता है। जो संवेदनाएँ ज्ञानात्मक और अनुभवात्मक तथा अनुभूति के गह्वर से गुज़रीं वही कविता बन गईं। ज्ञानात्मक संवेदना और संवेदनात्मक ज्ञान से वह अनुभूति इतनी प्रखर थी कि काग़ज़ पर उतरती गई और कविता का शिल्प और आकार लेती गई।”
“इस तरह विषय, कलेवर, आकार, प्रकार और अलंकार में विविधवर्णी कविताएँ हमारे आस-पास की दुनिया का लिखित और अनुभव कृत दस्तावेज हैं जिन्हें कवि ने रूप, आकार और शब्द दिए हैं। कविताएँ किसी परिपाटी में बंधी नहीं हैं, पूर्णत: मुक्त हैं। वैसे ही जैसे मुक्त आकाश, उन्मुक्त हृदय तथा मुक्त छंद।“
दैनिक ट्रिब्यून के पत्रकार और समीक्षक सुभाष रस्तोगी ने “अंतरंग सतरंग” पर अपनी समीक्षा में लिखा है –
“अजेय जुगरान के इस सद्यः प्रकाशित कविता-संग्रह ‘अंतरंग सतरंग’ में संगृहीत कविताएं उनके स्वार्जित जीवनानुभवों की धूप-छांव से छन कर सामने आई हैं, अत: पाठक के मन में अपने प्रति भरोसा पैदा करती हैं। यह कविताएं कवि के अंतरंग को भी उजागर करती हैं और सतरंग को भी। सादाबयानी की इन कविताओं के अर्थ गहरे हैं और अपनी सहजता में पाठकों से आत्मीय संवाद स्थापित कर लेती हैं। इन कविताओं के भाषागत मुहावरे की खासियत यह है कि लेखक के परिवेश के रूबरू लाकर पाठक को खड़ा कर देती हैं।”
मीडिया विशेषज्ञ, लेखक और और समीक्षक संजीव कोटनाला ने “अंतरंग सतरंग” पर अपनी समीक्षा में (यहाँ अंग्रेज़ी से अनुवादित) लिखा है –
“क़िताब की भाषा सरल है। किसी भी दृष्टिकोण को थोपने की या किसी अवलोकन को दोहराने की कोशिश नहीं है।कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे कोई कविता नहीं किसी की निजी डायरी के पन्ने पढ़ रहे हों क्यूँकि कवि की भाव विचार अभिव्यक्ति में एक खुली पारदर्शिता है। शब्दों में धाराप्रवाह है जो स्वतः पंक्तियों को अर्थपूर्ण बनाते चलते हैं ।उनके बीच पढ़ अर्थ खोजने के आवश्यकता नहीं है। जो है सो है, जैसा है वो आपके सामने प्रस्तुत है।”
कवि को 1970 के दशक में हिंदी पढ़ा चुकी शिक्षिका रमादेवी कक्कड़ ने “अंतरंग सतरंग” पर अपनी समीक्षा में लिखा है –
“कुल मिलाकर, अजेय की कविताएँ संबंधों में समाहित अनुभूतियों, उनके अपने दर्शन और विचारों का छंद मुक्त संकलन हैं। उसकी कविता में अंतरंग हार्दिक स्मरण और कृतज्ञता का भाव है तो सतरंग बौद्धिक दर्शन – विचार भी। उसने कई सुंदर शब्द चित्र खींचे और कई रुचिकर कहानियों को संजो अंतरंग सतरंग में अपने बचपन, रिश्तों और जीवन अनुभवों को साक्षात कर दिया। सरल सहज सरस साधारण हिंदी में लिखी “अंतरंग सतरंग” पढ़कर हर पाठक आसानी से उसमें कुछ अपना, उससे कुछ अपनापन पा सकता है और यही उसकी लोकप्रियता की नींव है।”
‘अंतरंग सतरंग’ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें httpglobalbooksorganisation.blogspot.com
हमारी ओर से उनके सुंदर काव्य संग्रह “अंतरंग सतरंग” के लिए अजेय जुगरान को बधाई। हिंदुस्तानआज