देहरादून, 14 सितम्बर 22 आज बुद्धवार को उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति द्वारा अपनी 20 सूत्री मांगो के समर्थन में घोषित आन्दोलन के प्रथम चरण में प्रदेश के समस्त जनपद मुख्यालयों में राजकीय कार्यालयो पर गेट मिटिंग का आयोजन कर अपने सदस्यों को समन्वय समिति द्वारा सरकार व शासन को प्रस्तुत मांगों की जानकारी देते हुए उन्हैं समन्वय समिति द्वारा घोषित आन्दोलन के कार्यक्रम में अपनी शत प्रतिशत भागीदारी करने की अपील की गयी।
जनपद देहरादून में गेट मिटिंग का कार्यक्रम वन विकास निगम उत्तराखण्ड के मुख्यालय अरण्य भवन, के प्रांगण में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता रमेश जुयाल ने की एवं संचालन टीएस बिष्ट के द्वारा किया गया। आज सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में निगम कार्मिकों को सरकार व शासन द्वारा सदैव दोयम दर्जे का कार्मिक समझा जाता है, जिसके कारण उन्हें अपनी सेवा करने के उपरान्त भी राज्य कर्मिकों की भॉति सेवा सम्बन्धी लाभ यथाः- वेतन, मंहगाई भत्ता, गोल्डन कार्ड इत्यादि की सुविधायें या तो प्राप्त ही नहीं हो पाती हैं अथवा अत्यन्त संघर्ष के बाद प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि निगम कार्मियों को भी राज्य कर्मियों की भॉति समस्त सेवा सम्बन्धी लाभ प्रदान किये जाने की मांग को लेकर उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी निगम महासंघ ने प्रदेश के समस्त कार्मिकों के लम्बित समस्याओं के निराकरण हेतु प्रदेश के 10 मान्यता प्राप्त परिसंघों के साथ एक मंच पर आकर उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का गठन किया है। वक्ताओं ने कहा कि समन्वय समिति में प्रदेश के फिल्ड कर्मचारियों से लेकर मिनिस्ट्रीयल, चतुर्थ श्रेणी, वाहन चालक, डिप्लोमा इंजिनियर इत्यादि समस्त कार्मिकों के मान्यता प्राप्त संगठनों ने एकत्र होकर 20 सूत्रीय मांगपत्र तैयार कर शासन व सरकार को प्रेषित किया। शासन व सरकार के स्तर पर कार्यवाही न होते देख समन्वय समिति द्वारा तीन चरण का आन्दोलनात्मक कार्यक्रम अपनी मांगों के समर्थन में जारी करते हुए पुनः सरकार व शासन को आन्दोलन का नोटिस भेज दिया है। वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने वेतन समिति द्वारा कार्मिकों के विरूद्ध दिये गये सुझाव ग्रेड पे को डाउन ग्रेड करने को तो तत्काल लागू करने हेतु मा0 मंत्रीमण्डल के स्तर से निर्णय पारित करा दिया जबकि संज्ञान में आया है कि वेतन समिति द्वारा कार्मिकों को लाभ पहुचाने वाले सुझावों को सरकार के द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसी प्रकार सरकार द्वारा समन्वय समिति के साथ पूर्व में किये गये समझोतोें के आधार पर कार्यवाही करने के निर्णय पर आतिथि तक कोई भी सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिससे प्रदेश के कार्मिकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न प्रकरण ठंडे बस्ते में पडे हुए हैं।
गेट मीटिंग को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि निगम कार्मिक भी अपनी मांगों को लेकर समन्वय समिति द्वारा घोषित आन्दोलन में बढ-चढ कर भागीदारी करेगें क्योंकि प्रदेश के कार्मिकों द्वारा समन्वय समिति के माध्यम से प्रस्तुत मांग पत्र में कोई भी नई मांग नहीं की जा रही है वरन या तो वो प्रकरण है जिनके अन्तर्गत राज्य कर्मियों को कोई न कोई सुविधा प्राप्त हो रही थी जिन्हैं अब समाप्त कर दिया गया है यथा 10, 16 व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत वेतनमान की अनुमन्यता, पूरे सेवा काल में एक बार पदोन्नति हेतु शिथिलीकरण की देयता इत्यादि। इसी प्रकार अन्य मांगे वे हैं जिन पर शासन स्तर पर कार्मिक संगठनों के साथ हुई वार्ताओं में शासन व सरकार के पदाधिकारियों द्वारा सहमति व्यक्त की गयी एंव उसका उल्लेख करते हुए शासन द्वारा कार्यवृत्त भी जारी किया गया किन्तु आतिथि तक इन समस्त प्रकरणों पर शासन के अधिकारी कुण्डली मार कर बैठे हुए हैं।
उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के प्रवक्ता अरूण पांडे प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज भी वक्ताओं द्वारा अपने सम्बोधन में माननिया मुख्यमंत्री से मांग की गयी कि समन्वय समिति द्वारा प्रस्तुत मांगपत्र में उल्लेखित मांगों के समाधान हेतु भी शासन के अधिकारियों को तत्काल निर्देशित करें जिससे कि प्रदेश के समस्त कार्मिकों की समस्याओं का सकारात्मक निराकरण किया जा सके।
आज की गेट मिटिंग में श्री अरूण पाण्डे, एसएस चौहान, दिनेश गुसांई, बीएस.रावत, दिनेश पंत, राकेश पेटवाल, मेजपाल सिंह, दिवाकर शाही, श्री शान्तुन शर्मा, श्री सुभाष देवलियाला, श्री अशोक राज उनियाल, श्रीमती गुड्डी मटुडा, श्री रविन्द्र चौहान, सुधा कुकरेती, उमा द्विवेदी, विक्रम सिंह रावत, राकेश ममगाई, प्रेम सिंह रावत, अनिल बिष्ट, अश्वनी त्यागी, जेपी भटट् आदि कर्मचारी नेताओं ने अपने विचार प्रकट किये।