- भाकपा(माले) की दो दिवसीय बैठक आंदोलन में शहीद किसानों और कवि मंगलेश डबराल को श्रद्धांजलि के साथ शुरू
- बैठक में पार्टी की सांगठनिक मजबूती, जनसंगठनों का विस्तार और विधानसभा चुनाव पर होगी विस्तार से चर्चा
लालकुंआ, किसान आंदोलन ने मोदी सरकार के अलोकतांत्रिक, कारपोरेट परस्त और जनविरोधी चेहरे को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है। इस आंदोलन में किसान और संविधान एक तरफ हैं और मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने दूसरी तरफ। यह बात भाकपा(माले) की राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक के प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए पार्टी के उत्तराखंड राज्य सचिव कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कही.
उन्होंने कहा कि आंदोलन को क्षेत्र विशेष तक सीमित करने और उसके खिलाफ तमाम दुष्प्रचार करने की भाजपा की कोशिश को आंदोलन के पक्ष में बनी देशव्यापी एकजुटता के कारण मुंह की खानी पड़ी है। किसान आंदोलन न केवल खेती-किसानी को कारपोरेट घरानों के हाथ देने के केंद्र सरकार के इरादे के खिलाफ है बल्कि इस देश के तमाम लोकतांत्रिक सवालों के प्रति उसका सकारात्मक एवं एकजुटता का रुख, स्वागत योग्य है।
कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, उत्तराखंड में साढ़े तीन साल से अधिक के त्रिवेंद्र रावत के शासन ने सिद्ध कर दिया है कि उत्तराखंड को लेकर इस सरकार के पास कोई विजन नहीं है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि तमाम मोर्चों पर राज्य सरकार पूरी तरह विफल सिद्ध हुई है। सिर्फ शराब और खनन माफियाओं के हितों के सरकार को चिंता है और आम जनता की परेशानियों से सरकार का कोई सरोकार नहीं है।
इससे पहले राज्य कमेटी की बैठक की शुरुआत किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों और जनसरोकारों से गहरी संवेदना से हमेशा जुड़े रहे प्रगतिशील मूल्यों के प्रतिनिधि कवि मंगलेश डबराल को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। दो दिवसीय बैठक में पार्टी की सांगठनिक मजबूती, जनसंगठनों का विस्तार व उत्तराखंड का आगामी विधानसभा चुनाव पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में इन्द्रेश मैखुरी, केके बोरा, आनंद सिंह नेगी, बहादुर सिंह जंगी, ललित मटियाली, मदन मोहन चमोली, एडवोकेट कैलाश जोशी, विमला रौथाण, अंकित ऊंचोली, डॉ कैलाश पाण्डेय आदि शामिल हैं।