मुंबई, महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार संकट में घिरती नज़र आ रही है। बताया जा रहा है कि शिवसेना के नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे आज कल नेतृत्व से नाराज़ चल रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे समेत समेत करीब 26 विधायकों से पार्टी का संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसे उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ इन विधायकों का विद्रोह की तरह देखा जा रहा है। उधर सूत्रों का हवाले से कहा जा रहा है कि शिवसेना ने एकनाथ शिंदे पर बड़ी कार्रवाई की है। शिवसेना ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है। अजय चौधरी को शिवसेना ने विधायक दल का नेता बनाया है। विधान परिषद चुनावों के परिणाम को लेकर नाराज सीएम उद्धव ने मंगलवार को विधायकों की आपात बैठक भी बुलाई थी। बताया जा रहा है कि शिवसेना विधायकों के साथ सीएम उद्धव ठाकरे की बैठक अब खत्म होचुकी है इस बैठक में कुल 18 विधायक ही मौजूद रहे। सीएम उद्धव ने बैठक में विश्वास व्यक्त किया कि सरकार को कोई खतरा नहीं होगा और सभी नाराज़ लोगों को मना लिया जाएगा।
सूत्रों के हवाले से बताया कि ये विधायक सोमवार को विधान परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद चार्टर्ड फ्लाइट से रवाना हुए और गुजरात के सूरत में एक फाइव स्टार होटल में ठहरे हुए हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि ये विधायक बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो उद्धव ठाकरे की सरकार के पास बहुमत नहीं रहेगा। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है इन 26 मंत्रियों और विधायकों ने उद्धव ठाकरे सरकार की सियासी जमीन हिला दी है।
उधर भाजपा दिल्ली से इस घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए है पार्टी किसी एक बड़े नेता को पूरे हालात पर नजर रखने के लिए मुंबई भी भेज सकती है। महाराष्ट्र के सियासी संकट पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, इस तरह का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सदस्य हैं, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 145 चाहिए, जबकि अभी विधानसभा में कुल 287 विधायक ही हैं क्योंकि मुंबई के शिवसेना के एक विधायक रमेश लटके का हाल ही में निधन हो गया था, महा विकास अघाडी (एमवीए) के पास इस समय शिवसेना 55, राकांपा 53 और कांग्रेस 44, और छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है। वहीँ बीजेपी 106 के पास 8 सदस्य और हैं, जो अभी जादुई आंकड़े से दूर नजर आता है। जबकि निर्दलीय या छोटे दलों के विधायकों को मिला कर 29 विधायक हैं जो इस समय सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों पक्षों के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि शिवसेना क्या अपने बागियों को मना पाती है और यह सियासी ऊंट किस करवट बैठता है और कौन अपनी सरकार बना कर जीत का परचम लहराता है।