* चंडी प्रसाद बहुगुणा की पुस्तक ‘मेरी कैलाश मानसरोवर यात्रा’ का हुआ विमोचन
* कैलाश मानसरोवर यात्रा के सबसे बुजुर्ग तीर्थयात्री रहे हैं श्री बहुगुणा
* सैकड़ों तीर्थ यात्राएं करने के बाद अपने पैतृक गांव बलोड़ी में करवा रहे हैं श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन
कथा व्यास आचार्य दीपक नौटियाल ने बताया मानव जीवन में दान एवं भक्ति का बहुत बड़ा महत्व है। धार्मिक यात्राओं से मनुष्य के जीवन में बड़ा बदलाव आता है। सैकड़ों धार्मिक यात्राएं करने के बाद अपनी पैतृक भूमि में भागवत कथा का आयोजन करना किसी पुण्य से कम नहीं है।
ग्राम बलोडी में आयोजित भागवत कथा के मौके पर कैलाश मानसरोवर यात्रा पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन करते हुए व्यास जी आचार्य दीपक नौटियाल ने भक्तों दान एवं भक्ति का बहुत बड़ा महत्व है समझाया। भागवत कथा के पांचवें दिन कथा आयोजक चंडी प्रसाद बहुगुणा की पुस्तक “मेरी कैलाश मानसरोवर यात्रा” का विमोचन किया गया। इस अवसर पर आचार्य दीपक नौटियाल ने कहा कि श्री बहुगुणा ऐसे व्यक्ति हैं जो मानसरोवर यात्रा के अपने दल में सबसे बुजुर्ग थे। उन्होंने उन्होंने 68 वर्ष की उम्र में इस कठिन यात्रा को वर्ष 2016 में पूरा किया तथा अपने यात्रा वृतांत को 72 वर्ष की आयु में पुस्तक का स्वरूप देने में सफलता पाई। इस मौके पर चंडी प्रसाद बहुगुणा ने कहां की उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी, गोमुख से गंगासागर, चारों धाम, पंच केदार बारह ज्योतिर्लिंग, नंदा देवी राजजात यात्रा समेत लगभग सैकड़ों धार्मिक यात्राएं की हैं। इन सबके बावजूद उनकी इच्छा कैलाश मानसरोवर जाने की थी। 68 वर्ष की आयु में इसके लिए आवेदन किया तो तमाम जांच उपरांत बहुत मुश्किल से उनका चयन हो पाया। लगभग 200 किलोमीटर अति दुर्गम रास्तों पर पैदल चलकर यह यात्रा पूर्ण की। यह मेरी अंतिम धार्मिक यात्रा थी। इतनी यात्राएं करने के बाद भी मन संतुष्ट नहीं हुआ और अपनी जन्मभूमि में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन का विचार आया। पुस्तक के बारे में उन्होंने बताया कि उनके इस यात्रा वृतांत का संपादन लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी मसूरी से सेवानिवृत्त अधिकारी विनोद प्रकाश चमोली जी ने किया है।
पुस्तक विमोचन के बाद कथा वाचन करते हुए आचार्य दीपक नौटियाल ने कंस वध की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मानव दे हमें जब अहंकार आ जाता है तो वही अहंकार कंस है जो उस मानव का समूल नष्ट कर देता है। भगवान की भक्ति से मोक्ष मिलता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में उस ईश्वर की आराधना जरूर काम करनी चाहिए जिसकी कृपा से यह सृष्टि चल रही है। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारी कात्यायनी प्रसाद बेंजवाल विनोद प्रकाश चमोली समेत ग्राम बलोडी एवं आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।